केदारनाथ धाम यात्रा के दौरान घोड़ा-खच्चरों के संचालन से इस बार 91 करोड़ 36 लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार दर्ज किया गया है। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को 4 करोड़ 71 लाख रुपए से ज्यादा का राजस्व मिला है। यह उपलब्धि यात्रा की शुरुआत में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रकोप जैसी गंभीर चुनौती के बावजूद हासिल की गई। यात्रा शुरू होने से पहले रुद्रप्रयाग जनपद के कई गांवों में घोड़ा-खच्चर एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की चपेट में आ गए थे, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया को भी अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। 2 मई से यात्रा शुरू होने के बाद शुरुआती तीन दिनों में पंजीकृत अधिकांश पशु बीमार पड़ गए, यहां तक कि कई की मौत भी हुई। इसी कारण पहले सप्ताह में गौरीकुंड से केदारनाथ तक आवाजाही लगभग ठप रही। दोतरफा संचालन से मिला फायदा समय के साथ स्थिति में सुधार आने लगा और यात्रा ने रफ्तार पकड़ी। कुल 175 दिनों तक चली इस यात्रा के दौरान 7,855 घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया गया। इन पशुओं ने सोनप्रयाग, गौरीकुंड से केदारनाथ तक 3,14,648 यात्रियों को पहुंचाने और वापस लाने का कार्य किया। दोतरफा संचालन से कुल 91 करोड़ 36 लाख 98 हजार 300 रुपए का कारोबार हुआ और जिला प्रशासन को 4 करोड़ 71 लाख 97 हजार 200 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। हालांकि यह आंकड़ा 2022 और 2021 की यात्रा के मुकाबले कम है, फिर भी विशेषज्ञ इसे प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच एक बेहतर प्रदर्शन मानते हैं। जिला पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष रावत के अनुसार शुरुआती सप्ताह में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा का प्रभाव गंभीर था, किंतु समय पर उपचार, बेहतर चिकित्सा प्रबंधन और नियमित निगरानी से घोड़ा-खच्चर तेजी से स्वस्थ हुए, जिसके परिणामस्वरूप यात्रा सुचारू रूप से जारी रह सकी।
केदारनाथ धाम यात्रा के दौरान घोड़ा-खच्चरों के संचालन से इस बार 91 करोड़ 36 लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार दर्ज किया गया है। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को 4 करोड़ 71 लाख रुपए से ज्यादा का राजस्व मिला है। यह उपलब्धि यात्रा की शुरुआत में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रकोप जैसी गंभीर चुनौती के बावजूद हासिल की गई। यात्रा शुरू होने से पहले रुद्रप्रयाग जनपद के कई गांवों में घोड़ा-खच्चर एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की चपेट में आ गए थे, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया को भी अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। 2 मई से यात्रा शुरू होने के बाद शुरुआती तीन दिनों में पंजीकृत अधिकांश पशु बीमार पड़ गए, यहां तक कि कई की मौत भी हुई। इसी कारण पहले सप्ताह में गौरीकुंड से केदारनाथ तक आवाजाही लगभग ठप रही। दोतरफा संचालन से मिला फायदा समय के साथ स्थिति में सुधार आने लगा और यात्रा ने रफ्तार पकड़ी। कुल 175 दिनों तक चली इस यात्रा के दौरान 7,855 घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण किया गया। इन पशुओं ने सोनप्रयाग, गौरीकुंड से केदारनाथ तक 3,14,648 यात्रियों को पहुंचाने और वापस लाने का कार्य किया। दोतरफा संचालन से कुल 91 करोड़ 36 लाख 98 हजार 300 रुपए का कारोबार हुआ और जिला प्रशासन को 4 करोड़ 71 लाख 97 हजार 200 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। हालांकि यह आंकड़ा 2022 और 2021 की यात्रा के मुकाबले कम है, फिर भी विशेषज्ञ इसे प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच एक बेहतर प्रदर्शन मानते हैं। जिला पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष रावत के अनुसार शुरुआती सप्ताह में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा का प्रभाव गंभीर था, किंतु समय पर उपचार, बेहतर चिकित्सा प्रबंधन और नियमित निगरानी से घोड़ा-खच्चर तेजी से स्वस्थ हुए, जिसके परिणामस्वरूप यात्रा सुचारू रूप से जारी रह सकी।