पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 19 साल पहले फांसी की सजा हुई थी। 14 साल से ये केंद्र सरकार के पास पेंडिंग है। अब श्री अकाल तख्त साहिब को फैसला लेना है। कौम के सम्मान को आगे रख फैसला लिया जाए। बलवंत शुक्रवार को पटियाला के डेंटल मेडिकल कॉलेज में दांतों की रेगुलर जांच के लिए पहुंचा था। वहीं मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मर्सी पिटीशन फाइल कर रखी है। ये पिछले 13 साल से राष्ट्रपति के पास पेंडिंग है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में राजोआणा की फांसी को उम्रकैद में बदलने के भी तर्क दिए गए हैं। कोर्ट ने सुनवाई को दौरान कहा था कि अगर केंद्र सरकार मर्सी पिटिशन पर फैसला करने में विफल रहता है तो कोर्ट ही अंतिम फैसला सुनाएगी। विस्तार से पढ़ें बलवंत ने क्या कहा… 2007 में राजोआणा को फांसी की सजा मिली
राजोआणा को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके लिए 31 मार्च 2012 की तारीख तय की गई थी। मगर, इससे पहले ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने राष्ट्रपति को मर्सी पिटीशन दायर की थी। यह मर्सी पिटीशन पिछले 13 साल से राष्ट्रपति के पास पेंडिंग हैं। वहीं बलवंत राजोआणा अभी पटियाला सेंट्रल जेल में बंद है। राजोआणा की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने के ये 2 तर्क… सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने मांगा था समय
अक्टूबर में ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था- जब इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में माना तो फिर अब तक बलवंत सिंह राजोआणा को फांसी क्यों नहीं दी गई?। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस पर केंद्र की तरफ से केस की पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा था कि इस बारे में जल्द से जल्द जवाब देंगे। इसके बाद मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई। कोर्ट ने ये भी कहा था कि केंद्र के कहने पर दोबारा इस मामले को स्थगित नहीं किया जाएगा। बेअंत हत्याकांड का मास्टरमाइंड बलवंत राजोआणा
31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ सेक्रेटेरिएट परिसर में सीएम बेअंत सिंह समेत 16 लोगों को मानव बम से उड़ा दिया गया। जांच में पता चला कि इस धमाके के लिए पाकिस्तान से 14 किलो RDX मंगाया गया था। पूरी प्लानिंग भी पाकिस्तान में हुई। जांच में ये भी सामने आया कि मानव बम दिलावर बना था। वहीं इस धमाके का मास्टरमाइंड बलवंत सिंह राजोआणा और जगतार सिंह हवारा थे। बलवंत राजोआणा को 27 जुलाई, 2007 को CBI की एक विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। 11 महीने पहले भाई के भोग में शामिल हुआ था
राजोआणा 20 नवंबर, 2024 को 3 घंटे के लिए जेल से बाहर आया था। सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक वह लुधियाना के राजोआणा कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई कुलवंत सिंह के भोग कार्यक्रम में शामिल हुआ था। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में उसे वापस पटियाला की जेल में ले जाया गया। राजोआणा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। इससे पहले जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी।
पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआणा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 19 साल पहले फांसी की सजा हुई थी। 14 साल से ये केंद्र सरकार के पास पेंडिंग है। अब श्री अकाल तख्त साहिब को फैसला लेना है। कौम के सम्मान को आगे रख फैसला लिया जाए। बलवंत शुक्रवार को पटियाला के डेंटल मेडिकल कॉलेज में दांतों की रेगुलर जांच के लिए पहुंचा था। वहीं मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मर्सी पिटीशन फाइल कर रखी है। ये पिछले 13 साल से राष्ट्रपति के पास पेंडिंग है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में राजोआणा की फांसी को उम्रकैद में बदलने के भी तर्क दिए गए हैं। कोर्ट ने सुनवाई को दौरान कहा था कि अगर केंद्र सरकार मर्सी पिटिशन पर फैसला करने में विफल रहता है तो कोर्ट ही अंतिम फैसला सुनाएगी। विस्तार से पढ़ें बलवंत ने क्या कहा… 2007 में राजोआणा को फांसी की सजा मिली
राजोआणा को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके लिए 31 मार्च 2012 की तारीख तय की गई थी। मगर, इससे पहले ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने राष्ट्रपति को मर्सी पिटीशन दायर की थी। यह मर्सी पिटीशन पिछले 13 साल से राष्ट्रपति के पास पेंडिंग हैं। वहीं बलवंत राजोआणा अभी पटियाला सेंट्रल जेल में बंद है। राजोआणा की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने के ये 2 तर्क… सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने मांगा था समय
अक्टूबर में ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था- जब इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में माना तो फिर अब तक बलवंत सिंह राजोआणा को फांसी क्यों नहीं दी गई?। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस पर केंद्र की तरफ से केस की पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा था कि इस बारे में जल्द से जल्द जवाब देंगे। इसके बाद मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई। कोर्ट ने ये भी कहा था कि केंद्र के कहने पर दोबारा इस मामले को स्थगित नहीं किया जाएगा। बेअंत हत्याकांड का मास्टरमाइंड बलवंत राजोआणा
31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ सेक्रेटेरिएट परिसर में सीएम बेअंत सिंह समेत 16 लोगों को मानव बम से उड़ा दिया गया। जांच में पता चला कि इस धमाके के लिए पाकिस्तान से 14 किलो RDX मंगाया गया था। पूरी प्लानिंग भी पाकिस्तान में हुई। जांच में ये भी सामने आया कि मानव बम दिलावर बना था। वहीं इस धमाके का मास्टरमाइंड बलवंत सिंह राजोआणा और जगतार सिंह हवारा थे। बलवंत राजोआणा को 27 जुलाई, 2007 को CBI की एक विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। 11 महीने पहले भाई के भोग में शामिल हुआ था
राजोआणा 20 नवंबर, 2024 को 3 घंटे के लिए जेल से बाहर आया था। सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक वह लुधियाना के राजोआणा कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई कुलवंत सिंह के भोग कार्यक्रम में शामिल हुआ था। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में उसे वापस पटियाला की जेल में ले जाया गया। राजोआणा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। इससे पहले जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी।