
UP–बिहार के अस्पतालों में बिना बीमारी के ही मरीजों की सर्जरी कर दी जा रही है। ऐसे लोगों को टारगेट किया जा रहा है, जिनके पास आयुष्मान कार्ड है। मरीजों को हॉस्पिटल तक ले जाने के लिए छोटे हेल्थ सेंटर से लेकर बड़े अस्पतालों तक के बीच नेक्सस बना हुआ है। UP–बिहार बॉर्डर से सटे जिलों में दलालों का पूरा नेटवर्क एक्टिव है। बॉर्डर के नजदीक रहने वाले बिहार के मरीजों को इलाज के लिए UP के गोरखपुर तक ले जाया जा रहा है। भास्कर की इन्वेस्टिगेटिव टीम ने महीनेभर इन जिलों की खाक छानी। दोनों राज्यों की बॉर्डर के आसपास बने अस्पतालों को स्कैन किया। हमें कई ऐसे अस्पतालों के बारे में पता चला जहां बिना बीमारी के ही मरीजों की सर्जरी कर दी जा रही है। मामले का पर्दाफाश करने के लिए भास्कर रिपोर्टर ने हेल्थ सेंटर संचालक बनकर एक बड़े हॉस्पिटल से डील की। हॉस्पिटल संचालक ने रिपोर्टर के साथ गए मरीज की न सिर्फ फर्जी मेडिकल रिपोर्ट्स बनाने का रास्ता बताया, बल्कि उसे सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर में भी ले गए। इसी बीच बहाना बनाकर हमारे साथी OT से बाहर आए और पूरा मामला एक्सपोज हुआ। डॉक्टर से एजेंट्स तक नेक्सस का हिस्सा बिहार के बगहा से लेकर UP के कुशीनगर-पड़रौना तक में चल रहे तमाम अस्पतालों में ऐसा किया जा रहा है। इस नेक्सस में छोटे लेवल पर हेल्थ सेंटर चलाने वाले संचालक, बड़े हॉस्पिटल, एजेंट्स, लैब ऑपरेटर और फर्जी आधार–आयुष्मान बनाने वाले लोग शामिल हैं। भास्कर एक–एक करके सभी तक पहुंचा। सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए और देखिए ये इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट। मामले का पर्दाफाश करने के लिए हमने UP के कुशीनगर में आने पड़रौना और खिड़किया के बीच मटिहरवा स्थित नव जीवन ज्योति हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डॉ. पुष्कर यादव से डील की। इस बेल्ट में बिहार से बड़ी संख्या में मरीजों को लाया जा रहा है। पहले डॉक्टर से हुई पूरी डील पढ़िए… रिपोर्टर – बिहार के बगहा में हमारा हॉस्पिटल है। हमारे पास स्पेशलिस्ट सर्जन नहीं हैं। आप क्या मदद कर सकते हैं। डॉक्टर – मरीज भेजिए, आप जैसा चाहेंगे हो जाएगा। आयुष्मान के मरीज भी आपके पास आते हैं। रिपोर्टर – आयुष्मान कार्ड तो बिहार में खूब बन रहा है, मरीज भी बहुत आते हैं। हमारे पास तो बल्क में मरीज हैं। डॉक्टर – एम्बुलेंस से भेज दीजिए, हम आपस में समझ लेंगे। रिपोर्टर – स्टोन से लेकर यूट्रस तक के मरीज आते हैं। डॉक्टर – आप सभी को भेजिए आयुष्मान में इलाज हो जाएगा। रिपोर्टर – बिहार में यूट्रस के ऑपरेशन को लेकर सख्ती है, आप कैसे कीजिएगा। डॉक्टर – आप पथरी की रिपोर्ट बनवा लीजिएगा, हम यूट्रस का ऑपरेशन कर देंगे। रिपोर्टर – हम तो स्टोन दिखा देंगे, लेकिन निकालना तो यूट्रस ही होगा। डॉक्टर – हां हां हो जाएगा, हम पथरी दिखाकर ही यूट्रस की सर्जरी करेंगे। बस आप अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट बनवा लीजिएगा। रिपोर्टर – सर्जरी कौन करता है। डॉक्टर – हम भी करते हैं, सीनियर सर्जन डॉ बीपी सिंह भी करते हैं। रिपोर्टर- आयुष्मान कार्ड वाले ऐसे बहुत लोग हैं, जो चाहते हैं सिर्फ पैसा मिल जाए। डॉक्टर – हो जाएगा, बवासीर दिखा दीजिएगा। रिपोर्टर – स्टोन की रिपोर्ट बनवा लें तो भी आयुष्मान का पैसा निकल जाएगा? दोबारा जांच पड़ताल तो नहीं होगी। डॉक्टर – नहीं जांच नहीं होगी, हम मैनेज कर लेते हैं सब। रिपोर्टर – स्टोन वाले में कैसे होगा? सर्जरी करनी होगी या ऐसे ही पैसा मिल जाएगा। डॉक्टर – आप यूरेटर या ब्लैडर में पथरी की रिपोर्ट बनवाइएगा। हमारे यहां डॉ प्रशांत रंजन गुप्ता सर्जरी करते हैं। वह MCH हैं, आयुष्मान में उनकी फोटोग्राफी होती है। वह सब कर देते हैं। रिपोर्टर – इतनी सख्ती है तो हम लोग अपना काम कैसे करा पाएंगे। डॉक्टर – हो जाएगा, हम पहले पत्थर डाल देंगे, फिर सर्जरी कर निकाल लेंगे। रिपोर्टर – पहले पथरी डाली जाएगी क्या। डॉक्टर – हां, छोटा सा पत्थर यूरिन के रास्ते डालेंगे। इसके बाद सर्जरी कर उसे निकाल देंगे। इसमें कोई फंसेगा नहीं। न आप फंसिएगा और ना ही हम फसेंगे। रिपोर्टर – मेरे मरीज को पत्थर डालने से कोई नुकसान तो नहीं होगा? डॉक्टर – छोटा सा पत्थर डाला जाएगा। कोई दिक्कत नहीं होगी, स्क्रीन पर पत्थर बड़ा दिखाई देगा। एक एमएम का स्टोन 10 एमएम दिखाई देता है। रिपोर्टर- हमारे यहां गैस के बहुत मरीज आते हैं, पथरी की फर्जी रिपोर्ट बनवाकर आपके पास भेज सकते हैं? डॉक्टर – लाइए आयुष्मान में भर्ती करके निकाल लिया जाएगा। कोई दिक्कत नहीं होगी, बस मरीज को आप संभालिएगा। रिपोर्टर – ऐसे मरीजों में पत्थर आपको ही डालना पड़ेगा। डॉक्टर – हां हो जाएगा, आप बस मरीज को सेट कीजिए और फर्जी पथरी की रिपोर्ट के साथ भेज दीजिएगा। बाकी हम पत्थर डलवाकर निकाल लेंगे। रिपोर्टर – कितना मिल जाएगा एक मरीज पर। डॉक्टर – स्टोन के लिए हमें सरकार से 28 हजार मिलता है, 10 प्रतिशत तो कट ही जाता है। यह सब करने का तो 12 हजार रुपए सर्जन ले लेता है। बाकी दवा और अन्य खर्च है। हम आपको 3 हजार रुपए दे देंगे, केस बढ़ाइए, कमीशन बढ़ जाएगा। रिपोर्टर – आयुष्मान वाले सर्जन डॉ प्रशांत रंजन गुप्ता इसका विरोध तो नहीं करेंगे। डॉक्टर – उनकी डिग्री और फोटो लगती है, वहीं हमारे यहां यह काम करते हैं। इसलिए वह कोई विरोध नहीं करेंगे। आप पूरी तरह से निश्चिंत रहिए। रिपोर्टर – कहीं से फंसेगा नहीं न मामला। डॉक्टर – सब हो जाएगा, आप मरीज भेजिए। रिपोर्ट में गुर्दे या ब्लैडर में स्टोन दिखाइएगा। रिपोर्टर – सर रिपोर्ट तो हम बनवा देंगे, लेकिन पथरी आपको ही डालना होगा। डॉक्टर – आप निश्चिंत रहिए, आप बस मरीज लाइए, यहां सब मैनेज हाे जाएगा। अगर एम्बुलेंस नहीं हो तो कॉल कीजिएगा, हम यहां से एम्बुलेंस भेज देंगे। हमारे यहां 70 प्रतिशत मरीज बिहार से आते हैं। रिपोर्टर – हम मरीज भेजेंगे तो कैसे पता चलेगा कि पथरी डालने वाला केस है? कोई कोड बताना होगा, आप कैसे डॉक्टर को मैनेज करेंगे। डॉक्टर – आप रिपोर्ट बनवा लीजिएगा, मरीज को बताइएगा कि पथरी की वजह से दर्द हो रहा है। हम यहां पथरी बड़ा दिखाकर सर्जरी कर लेंगे। पेशाब के रास्ते पथरी डाल देंगे, फिर निकाल लिया जाएगा। हम सर्जन से पहले बात कर लेंगे। डॉक्टर से डील के बाद हम ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटर को खोज रहे थे, जहां फर्जी रिपोर्ट तैयार होती हैं। बगहा के मधुबनी प्रखंड के बांसी बाजार स्थित डायमंड अल्ट्रासाउंड सेंटर और सिया अल्ट्रासाउंड सेंटर फर्जी रिपोर्ट बनाने को तैयार हो गए। हम एक साथी को लेकर बगहा के सिया अल्ट्रासाउंड पहुंचे। जांच सेंटर के संचालक को बताया कि मरीज को पथरी नहीं है, बस यूरेटर में पथरी दिखानी है। सेंटर संचालक ने हमारे साथी को पानी पीने को कहा। 18 मिनट जांच की। उसके 15 मिनट बाद हमारे हाथ में 7.3 एमएम स्टोन वाली रिपोर्ट आ गई। मात्र 2 हजार रुपए में अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालक ने हमारे साथी को जिसे कोई स्टोन नहीं था, उसकी स्टोन की फेक रिपोर्ट बना दी। जिस साथी की फर्जी रिपोर्ट बनाई गई थी, उसे कोई स्टोन नहीं है, ये साबित करने के लिए हम बगहा के बांसी स्थित श्री साईं अल्ट्रासाउंड सेंटर पहुंचे। यहां हमने डॉक्टर से यह बोलकर जांच कराई कि किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर ने स्टोन बताया है, आप अच्छे से जांच कर लीजिए। डॉक्टर ने 40 मिनट तक स्टोन को तलाशा, लेकिन पेट के किसी भी अंग में कोई स्टोन नहीं दिखा। डॉक्टर से डील के मुताबिक, मरीज को आयुष्मान कार्ड के साथ ऑपरेशन के लिए ले जाना था। जिस साथी को हमने इस पड़ताल में शामिल किया था, उसके पास आयुष्मान कॉर्ड नहीं था। काफी तलाश के बाद हमें एक ऐसे सेंटर का पता चला जहां से 300 रुपए में आधार और आयुष्मान कार्ड तैयार हो जाता है। बगहा के बांसी क्षेत्र स्थित कंप्यूटर सेंटर के संचालक ने पहले मना कर दिया। बाद में डॉक्टर और जांच सेंटर की पूरी रिपोर्ट दिखाने के बाद वह तैयार हो गया। हमने 5 लोगों के नाम से जाली आधार कार्ड और आयुष्मान कार्ड बनवाया। सेंटर के संचालक ने हमें आधार कार्ड और आयुष्मान का क्यूआर कोड स्कैन करके भी दिखाया। स्कैन करते ही हमारे साथी का नाम और उसका बदला हुआ पता आया। हम दो साथियों को मरीज बनाकर नव जीवन ज्योति हॉस्पिटल पहुंचे। 20 मिनट की वेटिंग के बाद डॉक्टर ने चैंबर में बुलाया। डॉक्टर ने हमारे पहले साथी की जांच कर बवासीर बताया और सर्जरी की बात कही। हमारा दूसरा पेशेंट वही था, जिसे पथरी नहीं थी और डॉक्टर के कहने पर हमने फर्जी रिपोर्ट बनवाई थी। डॉक्टर ने मरीज को देखते ही कहा- पथरी के कारण ही पेट में दर्द हो रहा है। स्टोन जब तक नहीं निकलेगा, दर्द होता रहेगा। मामला गंभीर बताते हुए डॉक्टर ने मरीज को सर्जरी की सलाह दी। डॉक्टर ने हॉस्पिटल के एक स्टाफ के साथ हमारे साथी को ऑपरेशन थिएटर में भेज दिया। दूसरी मंजिल पर दो कमरों की बड़ी OT दिखी। यहां एक साथ 7 से 8 मरीजों की सर्जरी का पूरा सेटअप था। OT में हमारे मरीज को सर्जरी वाले बेड पर लेटा दिया गया। डॉक्टर के दो असिस्टेंट अगल-बगल खड़े हो गए। दोनों ने सर्जरी की पूरी प्रक्रिया समझाई। असिस्टेंट जांच की तरफ बढ़ रहे थे। जांच के बहाने स्टोन डालने की प्रक्रिया शुरू होने वाली थी। तभी हमारा साथी उल्टी का बहाना कर बाहर निकलकर भागा। कुछ दूर तक हॉस्पिटल वाले ने पीछा किया। सीनियर एडवोकेट सुबोध कुमार झा ने बताया… यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 125, 318(4), 338, 336(3), 340(2) के तहत संज्ञेय अपराध है। इसमें अधिकतम सजा 10 वर्ष तक हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लग सकता। साथ-ही-साथ यह मानवाधिकार कानून का भी उल्लंघन है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है, जिसका उल्लंघन डॉक्टर कर रहा है। UP के डिप्टी CM बोले- कड़ी कार्रवाई होगी
UP के डिप्टी CM और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच में जिसके खिलाफ गड़बड़ी पाई गई उसे बख्शा नहीं जाएगा। गड़बड़ी करने वालों को हर हाल में सजा मिलेगी। दो लोग हॉस्पिटल संचालक बनकर आए थे। हमने सिर्फ मरीजों के कमीशन पर बात की। वह साथ में दो मरीज लेकर आए और ओटी में मरीज को चेक करते हुए वीडियो बना लिया। हमारे यहां पथरी डालकर कोई ऑपरेशन नहीं होता है। मैंने ऐसा कुछ नहीं बोला है। -डॉ पुष्कर यादव, निदेशक, नव जीवन ज्योति हॉस्पिटल ग्राफिक्सः सौरभ कुमार
UP–बिहार के अस्पतालों में बिना बीमारी के ही मरीजों की सर्जरी कर दी जा रही है। ऐसे लोगों को टारगेट किया जा रहा है, जिनके पास आयुष्मान कार्ड है। मरीजों को हॉस्पिटल तक ले जाने के लिए छोटे हेल्थ सेंटर से लेकर बड़े अस्पतालों तक के बीच नेक्सस बना हुआ है। UP–बिहार बॉर्डर से सटे जिलों में दलालों का पूरा नेटवर्क एक्टिव है। बॉर्डर के नजदीक रहने वाले बिहार के मरीजों को इलाज के लिए UP के गोरखपुर तक ले जाया जा रहा है। भास्कर की इन्वेस्टिगेटिव टीम ने महीनेभर इन जिलों की खाक छानी। दोनों राज्यों की बॉर्डर के आसपास बने अस्पतालों को स्कैन किया। हमें कई ऐसे अस्पतालों के बारे में पता चला जहां बिना बीमारी के ही मरीजों की सर्जरी कर दी जा रही है। मामले का पर्दाफाश करने के लिए भास्कर रिपोर्टर ने हेल्थ सेंटर संचालक बनकर एक बड़े हॉस्पिटल से डील की। हॉस्पिटल संचालक ने रिपोर्टर के साथ गए मरीज की न सिर्फ फर्जी मेडिकल रिपोर्ट्स बनाने का रास्ता बताया, बल्कि उसे सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर में भी ले गए। इसी बीच बहाना बनाकर हमारे साथी OT से बाहर आए और पूरा मामला एक्सपोज हुआ। डॉक्टर से एजेंट्स तक नेक्सस का हिस्सा बिहार के बगहा से लेकर UP के कुशीनगर-पड़रौना तक में चल रहे तमाम अस्पतालों में ऐसा किया जा रहा है। इस नेक्सस में छोटे लेवल पर हेल्थ सेंटर चलाने वाले संचालक, बड़े हॉस्पिटल, एजेंट्स, लैब ऑपरेटर और फर्जी आधार–आयुष्मान बनाने वाले लोग शामिल हैं। भास्कर एक–एक करके सभी तक पहुंचा। सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए और देखिए ये इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट। मामले का पर्दाफाश करने के लिए हमने UP के कुशीनगर में आने पड़रौना और खिड़किया के बीच मटिहरवा स्थित नव जीवन ज्योति हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डॉ. पुष्कर यादव से डील की। इस बेल्ट में बिहार से बड़ी संख्या में मरीजों को लाया जा रहा है। पहले डॉक्टर से हुई पूरी डील पढ़िए… रिपोर्टर – बिहार के बगहा में हमारा हॉस्पिटल है। हमारे पास स्पेशलिस्ट सर्जन नहीं हैं। आप क्या मदद कर सकते हैं। डॉक्टर – मरीज भेजिए, आप जैसा चाहेंगे हो जाएगा। आयुष्मान के मरीज भी आपके पास आते हैं। रिपोर्टर – आयुष्मान कार्ड तो बिहार में खूब बन रहा है, मरीज भी बहुत आते हैं। हमारे पास तो बल्क में मरीज हैं। डॉक्टर – एम्बुलेंस से भेज दीजिए, हम आपस में समझ लेंगे। रिपोर्टर – स्टोन से लेकर यूट्रस तक के मरीज आते हैं। डॉक्टर – आप सभी को भेजिए आयुष्मान में इलाज हो जाएगा। रिपोर्टर – बिहार में यूट्रस के ऑपरेशन को लेकर सख्ती है, आप कैसे कीजिएगा। डॉक्टर – आप पथरी की रिपोर्ट बनवा लीजिएगा, हम यूट्रस का ऑपरेशन कर देंगे। रिपोर्टर – हम तो स्टोन दिखा देंगे, लेकिन निकालना तो यूट्रस ही होगा। डॉक्टर – हां हां हो जाएगा, हम पथरी दिखाकर ही यूट्रस की सर्जरी करेंगे। बस आप अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट बनवा लीजिएगा। रिपोर्टर – सर्जरी कौन करता है। डॉक्टर – हम भी करते हैं, सीनियर सर्जन डॉ बीपी सिंह भी करते हैं। रिपोर्टर- आयुष्मान कार्ड वाले ऐसे बहुत लोग हैं, जो चाहते हैं सिर्फ पैसा मिल जाए। डॉक्टर – हो जाएगा, बवासीर दिखा दीजिएगा। रिपोर्टर – स्टोन की रिपोर्ट बनवा लें तो भी आयुष्मान का पैसा निकल जाएगा? दोबारा जांच पड़ताल तो नहीं होगी। डॉक्टर – नहीं जांच नहीं होगी, हम मैनेज कर लेते हैं सब। रिपोर्टर – स्टोन वाले में कैसे होगा? सर्जरी करनी होगी या ऐसे ही पैसा मिल जाएगा। डॉक्टर – आप यूरेटर या ब्लैडर में पथरी की रिपोर्ट बनवाइएगा। हमारे यहां डॉ प्रशांत रंजन गुप्ता सर्जरी करते हैं। वह MCH हैं, आयुष्मान में उनकी फोटोग्राफी होती है। वह सब कर देते हैं। रिपोर्टर – इतनी सख्ती है तो हम लोग अपना काम कैसे करा पाएंगे। डॉक्टर – हो जाएगा, हम पहले पत्थर डाल देंगे, फिर सर्जरी कर निकाल लेंगे। रिपोर्टर – पहले पथरी डाली जाएगी क्या। डॉक्टर – हां, छोटा सा पत्थर यूरिन के रास्ते डालेंगे। इसके बाद सर्जरी कर उसे निकाल देंगे। इसमें कोई फंसेगा नहीं। न आप फंसिएगा और ना ही हम फसेंगे। रिपोर्टर – मेरे मरीज को पत्थर डालने से कोई नुकसान तो नहीं होगा? डॉक्टर – छोटा सा पत्थर डाला जाएगा। कोई दिक्कत नहीं होगी, स्क्रीन पर पत्थर बड़ा दिखाई देगा। एक एमएम का स्टोन 10 एमएम दिखाई देता है। रिपोर्टर- हमारे यहां गैस के बहुत मरीज आते हैं, पथरी की फर्जी रिपोर्ट बनवाकर आपके पास भेज सकते हैं? डॉक्टर – लाइए आयुष्मान में भर्ती करके निकाल लिया जाएगा। कोई दिक्कत नहीं होगी, बस मरीज को आप संभालिएगा। रिपोर्टर – ऐसे मरीजों में पत्थर आपको ही डालना पड़ेगा। डॉक्टर – हां हो जाएगा, आप बस मरीज को सेट कीजिए और फर्जी पथरी की रिपोर्ट के साथ भेज दीजिएगा। बाकी हम पत्थर डलवाकर निकाल लेंगे। रिपोर्टर – कितना मिल जाएगा एक मरीज पर। डॉक्टर – स्टोन के लिए हमें सरकार से 28 हजार मिलता है, 10 प्रतिशत तो कट ही जाता है। यह सब करने का तो 12 हजार रुपए सर्जन ले लेता है। बाकी दवा और अन्य खर्च है। हम आपको 3 हजार रुपए दे देंगे, केस बढ़ाइए, कमीशन बढ़ जाएगा। रिपोर्टर – आयुष्मान वाले सर्जन डॉ प्रशांत रंजन गुप्ता इसका विरोध तो नहीं करेंगे। डॉक्टर – उनकी डिग्री और फोटो लगती है, वहीं हमारे यहां यह काम करते हैं। इसलिए वह कोई विरोध नहीं करेंगे। आप पूरी तरह से निश्चिंत रहिए। रिपोर्टर – कहीं से फंसेगा नहीं न मामला। डॉक्टर – सब हो जाएगा, आप मरीज भेजिए। रिपोर्ट में गुर्दे या ब्लैडर में स्टोन दिखाइएगा। रिपोर्टर – सर रिपोर्ट तो हम बनवा देंगे, लेकिन पथरी आपको ही डालना होगा। डॉक्टर – आप निश्चिंत रहिए, आप बस मरीज लाइए, यहां सब मैनेज हाे जाएगा। अगर एम्बुलेंस नहीं हो तो कॉल कीजिएगा, हम यहां से एम्बुलेंस भेज देंगे। हमारे यहां 70 प्रतिशत मरीज बिहार से आते हैं। रिपोर्टर – हम मरीज भेजेंगे तो कैसे पता चलेगा कि पथरी डालने वाला केस है? कोई कोड बताना होगा, आप कैसे डॉक्टर को मैनेज करेंगे। डॉक्टर – आप रिपोर्ट बनवा लीजिएगा, मरीज को बताइएगा कि पथरी की वजह से दर्द हो रहा है। हम यहां पथरी बड़ा दिखाकर सर्जरी कर लेंगे। पेशाब के रास्ते पथरी डाल देंगे, फिर निकाल लिया जाएगा। हम सर्जन से पहले बात कर लेंगे। डॉक्टर से डील के बाद हम ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटर को खोज रहे थे, जहां फर्जी रिपोर्ट तैयार होती हैं। बगहा के मधुबनी प्रखंड के बांसी बाजार स्थित डायमंड अल्ट्रासाउंड सेंटर और सिया अल्ट्रासाउंड सेंटर फर्जी रिपोर्ट बनाने को तैयार हो गए। हम एक साथी को लेकर बगहा के सिया अल्ट्रासाउंड पहुंचे। जांच सेंटर के संचालक को बताया कि मरीज को पथरी नहीं है, बस यूरेटर में पथरी दिखानी है। सेंटर संचालक ने हमारे साथी को पानी पीने को कहा। 18 मिनट जांच की। उसके 15 मिनट बाद हमारे हाथ में 7.3 एमएम स्टोन वाली रिपोर्ट आ गई। मात्र 2 हजार रुपए में अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालक ने हमारे साथी को जिसे कोई स्टोन नहीं था, उसकी स्टोन की फेक रिपोर्ट बना दी। जिस साथी की फर्जी रिपोर्ट बनाई गई थी, उसे कोई स्टोन नहीं है, ये साबित करने के लिए हम बगहा के बांसी स्थित श्री साईं अल्ट्रासाउंड सेंटर पहुंचे। यहां हमने डॉक्टर से यह बोलकर जांच कराई कि किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर ने स्टोन बताया है, आप अच्छे से जांच कर लीजिए। डॉक्टर ने 40 मिनट तक स्टोन को तलाशा, लेकिन पेट के किसी भी अंग में कोई स्टोन नहीं दिखा। डॉक्टर से डील के मुताबिक, मरीज को आयुष्मान कार्ड के साथ ऑपरेशन के लिए ले जाना था। जिस साथी को हमने इस पड़ताल में शामिल किया था, उसके पास आयुष्मान कॉर्ड नहीं था। काफी तलाश के बाद हमें एक ऐसे सेंटर का पता चला जहां से 300 रुपए में आधार और आयुष्मान कार्ड तैयार हो जाता है। बगहा के बांसी क्षेत्र स्थित कंप्यूटर सेंटर के संचालक ने पहले मना कर दिया। बाद में डॉक्टर और जांच सेंटर की पूरी रिपोर्ट दिखाने के बाद वह तैयार हो गया। हमने 5 लोगों के नाम से जाली आधार कार्ड और आयुष्मान कार्ड बनवाया। सेंटर के संचालक ने हमें आधार कार्ड और आयुष्मान का क्यूआर कोड स्कैन करके भी दिखाया। स्कैन करते ही हमारे साथी का नाम और उसका बदला हुआ पता आया। हम दो साथियों को मरीज बनाकर नव जीवन ज्योति हॉस्पिटल पहुंचे। 20 मिनट की वेटिंग के बाद डॉक्टर ने चैंबर में बुलाया। डॉक्टर ने हमारे पहले साथी की जांच कर बवासीर बताया और सर्जरी की बात कही। हमारा दूसरा पेशेंट वही था, जिसे पथरी नहीं थी और डॉक्टर के कहने पर हमने फर्जी रिपोर्ट बनवाई थी। डॉक्टर ने मरीज को देखते ही कहा- पथरी के कारण ही पेट में दर्द हो रहा है। स्टोन जब तक नहीं निकलेगा, दर्द होता रहेगा। मामला गंभीर बताते हुए डॉक्टर ने मरीज को सर्जरी की सलाह दी। डॉक्टर ने हॉस्पिटल के एक स्टाफ के साथ हमारे साथी को ऑपरेशन थिएटर में भेज दिया। दूसरी मंजिल पर दो कमरों की बड़ी OT दिखी। यहां एक साथ 7 से 8 मरीजों की सर्जरी का पूरा सेटअप था। OT में हमारे मरीज को सर्जरी वाले बेड पर लेटा दिया गया। डॉक्टर के दो असिस्टेंट अगल-बगल खड़े हो गए। दोनों ने सर्जरी की पूरी प्रक्रिया समझाई। असिस्टेंट जांच की तरफ बढ़ रहे थे। जांच के बहाने स्टोन डालने की प्रक्रिया शुरू होने वाली थी। तभी हमारा साथी उल्टी का बहाना कर बाहर निकलकर भागा। कुछ दूर तक हॉस्पिटल वाले ने पीछा किया। सीनियर एडवोकेट सुबोध कुमार झा ने बताया… यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 125, 318(4), 338, 336(3), 340(2) के तहत संज्ञेय अपराध है। इसमें अधिकतम सजा 10 वर्ष तक हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लग सकता। साथ-ही-साथ यह मानवाधिकार कानून का भी उल्लंघन है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है, जिसका उल्लंघन डॉक्टर कर रहा है। UP के डिप्टी CM बोले- कड़ी कार्रवाई होगी
UP के डिप्टी CM और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच में जिसके खिलाफ गड़बड़ी पाई गई उसे बख्शा नहीं जाएगा। गड़बड़ी करने वालों को हर हाल में सजा मिलेगी। दो लोग हॉस्पिटल संचालक बनकर आए थे। हमने सिर्फ मरीजों के कमीशन पर बात की। वह साथ में दो मरीज लेकर आए और ओटी में मरीज को चेक करते हुए वीडियो बना लिया। हमारे यहां पथरी डालकर कोई ऑपरेशन नहीं होता है। मैंने ऐसा कुछ नहीं बोला है। -डॉ पुष्कर यादव, निदेशक, नव जीवन ज्योति हॉस्पिटल ग्राफिक्सः सौरभ कुमार