राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सोमवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर नकली कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले में जांच करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही नकली दवाओं की बिक्री पर तुरंत बैन लगाने का निर्देश भी दिया। NHRC ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय समेत ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) और डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) से नकली दवाओं की आपूर्ति की जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही सभी राज्यों की लैब्स को सैंपल इकट्ठा कर टेस्ट रिपोर्ट भेजने को कहा है। NHRC ने नोटिस में कहा- एमपी और राजस्थान के कुछ जिलों में कथित तौर पर कफ सिरप पीने से 12 बच्चों की मौत के मामले में एक्शन लेने की मांग वाली शिकायत मिली है। सभी संबंधित विभाग जल्द कार्रवाई कर जवाब दें। इससे पहले NHRC की प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली बेंच ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत मामले में एक्शन लिया। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने विशेष जांच समिति बनाने की मांग की है। साथ ही दवा के प्रोडक्शन-डिस्ट्रीब्यूशन, राज्य-केंद्र के अधिकारियों की भूमिका और पीड़ित परिवारों को मुआवजे देने की भी मांग की गई है। शिकायतकर्ता ने दवा सुरक्षा, नियम और निगरानी में गंभीर चूक बताई है और आरोप लगाया है कि ये बच्चों के जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षित दवाओं के अधिकार का उल्लंघन है। कोल्ड्रिफ 3 राज्यों में बैन कोल्ड्रिफ (Coldrif) दवा की मैन्युफैक्चरिंग तमिलनाडु के कांचीपुरम में हो रही थी। अब इसे देश के तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु) में बैन कर दिया गया है। देशभर में दवाइयों को कंट्रोल करने वाली संस्था CDSCO दवा कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तमिलनाडु फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को लिखेगा। तमिलनाडु के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की जांच में खुलासा हुआ है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 48.6% डाईथाइलीन ग्लॉयकाल की मिलावट है। यह एक जहरीला केमिकल है। मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ से 11 मौतों की पुष्टि
एमपी के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत हुई है। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी। इसके बाद 15 दिन में किडनी फेल होने से एक-एक कर 6 बच्चों की मौत हो गई। एमपी स्टेट फूड एंड ड्रग कंट्रोलर दिनेश कुमार मौर्य ने शनिवार को बताया, “कोल्ड्रिफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल तय मात्रा से ज्यादा था। इसी कारण यह सिरप विषैला पाया गया। CM मोहन यादव ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से मरने वाले बच्चों के परिवारों को 4-4 लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की। राजस्थान में अन्य दवा से अब तक 3 मौतें
एमपी के अलावा राजस्थान में एक अन्य कफ सिरप पीने से भरतपुर और सीकर में एक-एक मौतें सामने आई हैं। शुरुआती जांच में Dextromethorphan hydrobromide syrup ip का नाम सामने आया। यह दवाई एक निजी फार्मा कंपनी केसंस फार्मा तैयार करती है। यहां भी बच्चों की मौत की वजह किडनी फेल होना बताया गया। शनिवार को चूरू में एक बच्चे की मौत का कारण भी कफ सिरप पीना बताया जा रहा है। इसके बाद शनिवार को सरकार एक्शन में आई। राजस्थान सरकार ने केसंस फार्मा की सभी 19 प्रकार की दवाइयों पर रोक लगा दी है। राज्य के ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले, शर्मा ने कंपनी को जांच में क्लीन चिट दी थी। केंद्र सरकार की एडवाइजरी, 2 साल से कम उम्र तो कफ सिरप नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को हेल्थ एडवाइजरी जारी करके कहा था कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप (खांसी और सर्दी की दवाएं) न दी जाएं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले DGHS ने एडवाइजरी में कहा कि आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को यदि कफ सिरप दिया जाए तो उनका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। यानी जिस बच्चे को दवा दी जा रही है, उसे कड़ी निगरानी में रखा जाए। उसे उचित खुराक दी जाए। कम से कम समय के लिए दवा दी जाए। कई दवाओं के साथ कफ सिरप नहीं दिया जाए। DGHS की डॉ. सुनीता शर्मा ने यह एडवाइजरी जारी की है। तमिलनाडु में बनने वाली कोल्ड्रिफ सिरप में 48% जहर
कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल की यूनिट से कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त किया गया। जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ, जो संभवतः डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं। जैसे ही सैंपल चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में भेजे गए, वहां से 24 घंटे में रिपोर्ट दी गई। इसमें पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6% w/v DEG से जहरीला और ‘Not of Standard Quality’ है। जबकि अन्य चार दवाओं (रेस्पोलाइट D, GL, ST और हेप्सैंडिन सिरप) को स्टैंडर्ड क्वालिटी का पाया गया। जांच रिपोर्ट के बाद तमिलनाडु सरकार का एक्शन ————————- कफ सिरप मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… लखीमपुर में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री नहीं:ड्रग इंस्पेक्टर बोलीं- विभाग लगातार कर रहा निगरानी, स्टॉक भी नहीं मिला लखीमपुर खीरी में केंद्र और राज्य स्तर से कोल्ड्रिफ कफ सिरप को लेकर जारी नए आदेशों के बाद लखीमपुर खीरी का ड्रग विभाग पूरी तरह अलर्ट पर है। जिला ड्रग इंस्पेक्टर बबीता रानी ने स्पष्ट किया है कि जिले में फिलहाल इस सिरप की बिक्री नहीं हो रही है और विभाग इसकी लगातार निगरानी कर रहा है। पूरी खबर पढ़ें… संदिग्ध कफ सिरप पर एफडीए का शिकंजा:63 दवाइयों के नमूने लिए, दीपावली पर खाद्य सुरक्षा अभियान भी तेज बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने पूरे प्रदेश में संदिग्ध और प्रतिबंधित कफ सिरप के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) उत्तराखंड की ओर से राज्यव्यापी विशेष अभियान चलाया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सोमवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर नकली कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले में जांच करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही नकली दवाओं की बिक्री पर तुरंत बैन लगाने का निर्देश भी दिया। NHRC ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय समेत ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) और डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) से नकली दवाओं की आपूर्ति की जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही सभी राज्यों की लैब्स को सैंपल इकट्ठा कर टेस्ट रिपोर्ट भेजने को कहा है। NHRC ने नोटिस में कहा- एमपी और राजस्थान के कुछ जिलों में कथित तौर पर कफ सिरप पीने से 12 बच्चों की मौत के मामले में एक्शन लेने की मांग वाली शिकायत मिली है। सभी संबंधित विभाग जल्द कार्रवाई कर जवाब दें। इससे पहले NHRC की प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली बेंच ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत मामले में एक्शन लिया। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने विशेष जांच समिति बनाने की मांग की है। साथ ही दवा के प्रोडक्शन-डिस्ट्रीब्यूशन, राज्य-केंद्र के अधिकारियों की भूमिका और पीड़ित परिवारों को मुआवजे देने की भी मांग की गई है। शिकायतकर्ता ने दवा सुरक्षा, नियम और निगरानी में गंभीर चूक बताई है और आरोप लगाया है कि ये बच्चों के जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षित दवाओं के अधिकार का उल्लंघन है। कोल्ड्रिफ 3 राज्यों में बैन कोल्ड्रिफ (Coldrif) दवा की मैन्युफैक्चरिंग तमिलनाडु के कांचीपुरम में हो रही थी। अब इसे देश के तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु) में बैन कर दिया गया है। देशभर में दवाइयों को कंट्रोल करने वाली संस्था CDSCO दवा कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तमिलनाडु फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को लिखेगा। तमिलनाडु के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की जांच में खुलासा हुआ है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 48.6% डाईथाइलीन ग्लॉयकाल की मिलावट है। यह एक जहरीला केमिकल है। मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ से 11 मौतों की पुष्टि
एमपी के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत हुई है। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी। इसके बाद 15 दिन में किडनी फेल होने से एक-एक कर 6 बच्चों की मौत हो गई। एमपी स्टेट फूड एंड ड्रग कंट्रोलर दिनेश कुमार मौर्य ने शनिवार को बताया, “कोल्ड्रिफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल तय मात्रा से ज्यादा था। इसी कारण यह सिरप विषैला पाया गया। CM मोहन यादव ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से मरने वाले बच्चों के परिवारों को 4-4 लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की। राजस्थान में अन्य दवा से अब तक 3 मौतें
एमपी के अलावा राजस्थान में एक अन्य कफ सिरप पीने से भरतपुर और सीकर में एक-एक मौतें सामने आई हैं। शुरुआती जांच में Dextromethorphan hydrobromide syrup ip का नाम सामने आया। यह दवाई एक निजी फार्मा कंपनी केसंस फार्मा तैयार करती है। यहां भी बच्चों की मौत की वजह किडनी फेल होना बताया गया। शनिवार को चूरू में एक बच्चे की मौत का कारण भी कफ सिरप पीना बताया जा रहा है। इसके बाद शनिवार को सरकार एक्शन में आई। राजस्थान सरकार ने केसंस फार्मा की सभी 19 प्रकार की दवाइयों पर रोक लगा दी है। राज्य के ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले, शर्मा ने कंपनी को जांच में क्लीन चिट दी थी। केंद्र सरकार की एडवाइजरी, 2 साल से कम उम्र तो कफ सिरप नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को हेल्थ एडवाइजरी जारी करके कहा था कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप (खांसी और सर्दी की दवाएं) न दी जाएं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले DGHS ने एडवाइजरी में कहा कि आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को यदि कफ सिरप दिया जाए तो उनका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। यानी जिस बच्चे को दवा दी जा रही है, उसे कड़ी निगरानी में रखा जाए। उसे उचित खुराक दी जाए। कम से कम समय के लिए दवा दी जाए। कई दवाओं के साथ कफ सिरप नहीं दिया जाए। DGHS की डॉ. सुनीता शर्मा ने यह एडवाइजरी जारी की है। तमिलनाडु में बनने वाली कोल्ड्रिफ सिरप में 48% जहर
कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल की यूनिट से कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त किया गया। जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ, जो संभवतः डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं। जैसे ही सैंपल चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में भेजे गए, वहां से 24 घंटे में रिपोर्ट दी गई। इसमें पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6% w/v DEG से जहरीला और ‘Not of Standard Quality’ है। जबकि अन्य चार दवाओं (रेस्पोलाइट D, GL, ST और हेप्सैंडिन सिरप) को स्टैंडर्ड क्वालिटी का पाया गया। जांच रिपोर्ट के बाद तमिलनाडु सरकार का एक्शन ————————- कफ सिरप मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… लखीमपुर में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री नहीं:ड्रग इंस्पेक्टर बोलीं- विभाग लगातार कर रहा निगरानी, स्टॉक भी नहीं मिला लखीमपुर खीरी में केंद्र और राज्य स्तर से कोल्ड्रिफ कफ सिरप को लेकर जारी नए आदेशों के बाद लखीमपुर खीरी का ड्रग विभाग पूरी तरह अलर्ट पर है। जिला ड्रग इंस्पेक्टर बबीता रानी ने स्पष्ट किया है कि जिले में फिलहाल इस सिरप की बिक्री नहीं हो रही है और विभाग इसकी लगातार निगरानी कर रहा है। पूरी खबर पढ़ें… संदिग्ध कफ सिरप पर एफडीए का शिकंजा:63 दवाइयों के नमूने लिए, दीपावली पर खाद्य सुरक्षा अभियान भी तेज बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने पूरे प्रदेश में संदिग्ध और प्रतिबंधित कफ सिरप के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) उत्तराखंड की ओर से राज्यव्यापी विशेष अभियान चलाया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…