
भोपाल में 11वीं के छात्र की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। वह ऑनलाइन गेम-फ्री फायर खेलने का आदी था। परिजन का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग में किसी टास्क को पूरा करने में वह ट्रेन की चपेट में आ गया। इससे उसकी जान चली गई। घटना शुक्रवार रात छोला मंदिर थाना क्षेत्र की है। शनिवार को पुलिस ने परिजन के बयान दर्ज किए। इस दौरान उसकी ऑनलाइन गेम खेलने के आदी होने का खुलासा हुआ। टीआई सुरेश चंद्र नागर ने बताया कि मोबाइल फोन जब्त कर लिया है। फोन की फोरेंसिक जांच कराई जाएगी। मामा बोले- भांजा मोबाइल में बिजी रहता था
छात्र मृत्युंजय शर्मा पुत्र रमा शर्मा (16) भानपुर मल्टी में रहता था। वह प्राइवेट स्कूल से 11वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था। मृतक के मामा मनोज शर्मा ने बताया कि भांजा ऑनलाइन गेम खेलने का शौकीन था। अधिकांश समय मोबाइल में व्यस्त रहता और फ्री फायर गेम खेलता था। माता-पिता और बहन घर से बाहर गई थी
शुक्रवार को उसकी बहन कंगना और मां विदिशा में रहने वाले रिश्तेदार के घर सुंदरकांड में गई थीं। पिता ऑटो लेकर गए हुए थे। रात करीब 9:30 बजे पुलिस ने सूचना दी कि मृत्युंजय की ट्रेन से कटने से मौत हो गई। गेमिंग की लत पर माता-पिता देते थे समझाइश
मृत्युंजय के मामा का कहना है कि ऑनलाइन गेम की लत को देखते हुए बच्चे के मां-पिता उसे समझाइश देते थे। हालांकि, वह परिवार का इकलौता बेटा था। लिहाजा उसे किसी प्रकार से डांटा और फटकारा नहीं जाता था। किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया जाता था। वह पढ़ाई में होशियार था। 10वीं कक्षा को उसने फर्स्ट डिवीजन से पास किया था। पिछले कुछ महीनों से मोबाइल अधिक इस्तेमाल करने लगा था। उसने किसी परेशानी का कभी जिक्र नहीं किया। कम उम्र में फोन मतलब खराब मेंटल हेल्थ, रिसर्च में दावा
सैपियन लैब्स की एक ग्लोबल रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि कम उम्र में स्मार्टफोन रखने वाले बच्चों की मानसिक सेहत आगे चलकर ज्यादा खराब होती है। जबकि इनके मुकाबले देर से स्मार्टफोन का इस्तेमाल शुरू करने वाले लोग मेंटली ज्यादा फिट होते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि 6 साल की उम्र में स्मार्टफोन चलाने वाली बच्चियां आगे चलकर 76% मामलों में किसी न किसी रूप में मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम का शिकार हुईं। जबकि जिन युवाओं ने 18 साल की उम्र के बाद स्मार्टफोन यूज करना शुरू किया था, वो सिर्फ 46% मामलों में किसी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से जूझते पाए गए।
भोपाल में 11वीं के छात्र की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। वह ऑनलाइन गेम-फ्री फायर खेलने का आदी था। परिजन का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग में किसी टास्क को पूरा करने में वह ट्रेन की चपेट में आ गया। इससे उसकी जान चली गई। घटना शुक्रवार रात छोला मंदिर थाना क्षेत्र की है। शनिवार को पुलिस ने परिजन के बयान दर्ज किए। इस दौरान उसकी ऑनलाइन गेम खेलने के आदी होने का खुलासा हुआ। टीआई सुरेश चंद्र नागर ने बताया कि मोबाइल फोन जब्त कर लिया है। फोन की फोरेंसिक जांच कराई जाएगी। मामा बोले- भांजा मोबाइल में बिजी रहता था
छात्र मृत्युंजय शर्मा पुत्र रमा शर्मा (16) भानपुर मल्टी में रहता था। वह प्राइवेट स्कूल से 11वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था। मृतक के मामा मनोज शर्मा ने बताया कि भांजा ऑनलाइन गेम खेलने का शौकीन था। अधिकांश समय मोबाइल में व्यस्त रहता और फ्री फायर गेम खेलता था। माता-पिता और बहन घर से बाहर गई थी
शुक्रवार को उसकी बहन कंगना और मां विदिशा में रहने वाले रिश्तेदार के घर सुंदरकांड में गई थीं। पिता ऑटो लेकर गए हुए थे। रात करीब 9:30 बजे पुलिस ने सूचना दी कि मृत्युंजय की ट्रेन से कटने से मौत हो गई। गेमिंग की लत पर माता-पिता देते थे समझाइश
मृत्युंजय के मामा का कहना है कि ऑनलाइन गेम की लत को देखते हुए बच्चे के मां-पिता उसे समझाइश देते थे। हालांकि, वह परिवार का इकलौता बेटा था। लिहाजा उसे किसी प्रकार से डांटा और फटकारा नहीं जाता था। किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया जाता था। वह पढ़ाई में होशियार था। 10वीं कक्षा को उसने फर्स्ट डिवीजन से पास किया था। पिछले कुछ महीनों से मोबाइल अधिक इस्तेमाल करने लगा था। उसने किसी परेशानी का कभी जिक्र नहीं किया। कम उम्र में फोन मतलब खराब मेंटल हेल्थ, रिसर्च में दावा
सैपियन लैब्स की एक ग्लोबल रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि कम उम्र में स्मार्टफोन रखने वाले बच्चों की मानसिक सेहत आगे चलकर ज्यादा खराब होती है। जबकि इनके मुकाबले देर से स्मार्टफोन का इस्तेमाल शुरू करने वाले लोग मेंटली ज्यादा फिट होते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि 6 साल की उम्र में स्मार्टफोन चलाने वाली बच्चियां आगे चलकर 76% मामलों में किसी न किसी रूप में मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम का शिकार हुईं। जबकि जिन युवाओं ने 18 साल की उम्र के बाद स्मार्टफोन यूज करना शुरू किया था, वो सिर्फ 46% मामलों में किसी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से जूझते पाए गए।