
सुप्रीम कोर्ट ने 40 साल पुरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश और हरियाणा को NCR इलाकों में पटाखों पर पूर्ण और स्थायी प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया। इससे पहले दिल्ली और राजस्थान NCR में पटाखों पर स्थायी और पूर्ण प्रतिबंध लगा चुके हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस एएस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच कर रही थी। हालांकि, कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ही दोनों राज्यों को NCR इलाकों में पटाखे बैन करने का आदेश दिया था। UP सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (AAG) गरिमा प्रसाद ने बताया कि राज्य ने 17 जनवरी तक सभी प्रकार के पटाखों पर बैन लगाकर कोर्ट के आदेश का पालन किया है। इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि कोर्ट ने अस्थायी बैन नहीं लगाया था बल्कि दिल्ली की तरह पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा पटाखे बैन करने का कोर्ट का पिछला निर्देश मामले की अगली सुनवाई यानी 24 मार्च तक लागू रहेगा। कोर्ट 1985 में दायर एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। पटाखा बनाने वालों ने बैन के विरोध में याचिका लगाई
मामले में पटाखा व्यापारियों के फेडरेशन ने भी इंटरवेंशन ऐप्लीकेशन लगाई है। याचिका पर जस्टिस ओक ने फेडरेशन के वकील से कहा कि आपको हमें संतुष्ट करना होगा कि पटाखे जलाने से प्रदूषण नहीं होता। फेडरेशन की ओर से पेश वकील ने कहा- पटाखे जलाने से प्रदूषण होता है, लेकिन इसकी इंटेंसिटी अलग-अलग होती है। कभी-कभी पटाखे बहुत ज्यादा प्रदूषण करते हैं और कभी-कभी यह न के बराबर होता है। यह मामला मौलिक अधिकारों से जुड़ा है। कोर्ट को ग्रीन पटाखों को बैन से बाहर रखना चाहिए। इस पर बेंच ने कहा कि- पर्यावरण की समस्याएं उनके मुद्दों से पहले आती हैं। हमें चेक करना होगा कि ग्रीन पटाखे कितने ग्रीन हैं। कोर्ट ने केंद्र से भी पटाखा बनाने वाली फर्मों की याचिकाओं पर जवाब देने को भी कहा। बेंच अगली तारीख पर फेडरेशन की याचिका पर भी सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में कहा- कोई धर्म प्रदूषण करने को नहीं कहता
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर 2024 को कहा था कि कोई भी धर्म प्रदूषण करने वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करता है। संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत नागरिकों को साफ पर्यावरण के अधिकार के तहत प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना चाहिए। अगले दिन 12 दिसंबर को दिल्ली सरकार और NCR राज्यों को पटाखे बनाने, स्टोर करने, बेचने, डिस्ट्रिब्यूट करने सहित पूरे साल बैन करने का फैसला लेने का निर्देश दिया था। दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट शादान फरासत ने 19 दिसंबर, 2024 को बताया था कि सरकार ने कोर्ट के आदेश के आधार पर पटाखों पर बैन लगाया है। साथ ही हरियाणा के ग्रीन पटाखे यूज करने और राजस्थान के NCR इलाकों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की जानकारी भी दी थी। AQI 400 के पार पहुंचने पर GRAP लगाया जाता है
हवा के प्रदूषण स्तर की जांच करने के लिए इसे 4 कैटेगरी में बांटा गया है। हर स्तर के लिए पैमाने और उपाय तय हैं। इसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) कहते हैं। इसकी 4 कैटेगरी के तहत सरकार पाबंदियां लगाती है और प्रदूषण कम करने के उपाय जारी करती है। GRAP के स्टेज स्टेज I- 201 से 300 AQI तक
स्टेज II- 301 से 400 AQI तक
स्टेज III- 401 से 450 AQI तक
स्टेज IV- 450 से ऊपर AQI पर ——————————————– पर्यावरण से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली में पेड़ों की गिनती का आदेश, कहा- स्थिति बहुत विनाशकारी दिल्ली में पेड़ों की गिनती की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2024 को ट्री सेंसस (Tree Census) आदेश दिया था। दिल्ली ट्री अथॉरिटी से जस्टिस एएस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा- 50 या उससे ज्यादा पेड़ों की कटाई के लिए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की परमिशन लेनी होगी। पूरी खबर पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट ने 40 साल पुरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश और हरियाणा को NCR इलाकों में पटाखों पर पूर्ण और स्थायी प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया। इससे पहले दिल्ली और राजस्थान NCR में पटाखों पर स्थायी और पूर्ण प्रतिबंध लगा चुके हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस एएस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच कर रही थी। हालांकि, कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ही दोनों राज्यों को NCR इलाकों में पटाखे बैन करने का आदेश दिया था। UP सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (AAG) गरिमा प्रसाद ने बताया कि राज्य ने 17 जनवरी तक सभी प्रकार के पटाखों पर बैन लगाकर कोर्ट के आदेश का पालन किया है। इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि कोर्ट ने अस्थायी बैन नहीं लगाया था बल्कि दिल्ली की तरह पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा पटाखे बैन करने का कोर्ट का पिछला निर्देश मामले की अगली सुनवाई यानी 24 मार्च तक लागू रहेगा। कोर्ट 1985 में दायर एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। पटाखा बनाने वालों ने बैन के विरोध में याचिका लगाई
मामले में पटाखा व्यापारियों के फेडरेशन ने भी इंटरवेंशन ऐप्लीकेशन लगाई है। याचिका पर जस्टिस ओक ने फेडरेशन के वकील से कहा कि आपको हमें संतुष्ट करना होगा कि पटाखे जलाने से प्रदूषण नहीं होता। फेडरेशन की ओर से पेश वकील ने कहा- पटाखे जलाने से प्रदूषण होता है, लेकिन इसकी इंटेंसिटी अलग-अलग होती है। कभी-कभी पटाखे बहुत ज्यादा प्रदूषण करते हैं और कभी-कभी यह न के बराबर होता है। यह मामला मौलिक अधिकारों से जुड़ा है। कोर्ट को ग्रीन पटाखों को बैन से बाहर रखना चाहिए। इस पर बेंच ने कहा कि- पर्यावरण की समस्याएं उनके मुद्दों से पहले आती हैं। हमें चेक करना होगा कि ग्रीन पटाखे कितने ग्रीन हैं। कोर्ट ने केंद्र से भी पटाखा बनाने वाली फर्मों की याचिकाओं पर जवाब देने को भी कहा। बेंच अगली तारीख पर फेडरेशन की याचिका पर भी सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में कहा- कोई धर्म प्रदूषण करने को नहीं कहता
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर 2024 को कहा था कि कोई भी धर्म प्रदूषण करने वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करता है। संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत नागरिकों को साफ पर्यावरण के अधिकार के तहत प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना चाहिए। अगले दिन 12 दिसंबर को दिल्ली सरकार और NCR राज्यों को पटाखे बनाने, स्टोर करने, बेचने, डिस्ट्रिब्यूट करने सहित पूरे साल बैन करने का फैसला लेने का निर्देश दिया था। दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट शादान फरासत ने 19 दिसंबर, 2024 को बताया था कि सरकार ने कोर्ट के आदेश के आधार पर पटाखों पर बैन लगाया है। साथ ही हरियाणा के ग्रीन पटाखे यूज करने और राजस्थान के NCR इलाकों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की जानकारी भी दी थी। AQI 400 के पार पहुंचने पर GRAP लगाया जाता है
हवा के प्रदूषण स्तर की जांच करने के लिए इसे 4 कैटेगरी में बांटा गया है। हर स्तर के लिए पैमाने और उपाय तय हैं। इसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) कहते हैं। इसकी 4 कैटेगरी के तहत सरकार पाबंदियां लगाती है और प्रदूषण कम करने के उपाय जारी करती है। GRAP के स्टेज स्टेज I- 201 से 300 AQI तक
स्टेज II- 301 से 400 AQI तक
स्टेज III- 401 से 450 AQI तक
स्टेज IV- 450 से ऊपर AQI पर ——————————————– पर्यावरण से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली में पेड़ों की गिनती का आदेश, कहा- स्थिति बहुत विनाशकारी दिल्ली में पेड़ों की गिनती की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2024 को ट्री सेंसस (Tree Census) आदेश दिया था। दिल्ली ट्री अथॉरिटी से जस्टिस एएस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा- 50 या उससे ज्यादा पेड़ों की कटाई के लिए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की परमिशन लेनी होगी। पूरी खबर पढ़ें…