
हरियाणा के रोहतक के गांव बालंद के रहने वाले यांशू बड़क एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर सिलेक्ट हुए हैं। यांशू की 30 जून से तेलंगाना में ट्रेनिंग शुरू होगी। बेटे की उपलब्धि पर पूरा परिवार बेहद खुश है। हर कोई यांशू की मेहनत की तारीफ कर रहा है। मगर, इस सफलता के पीछे एक कहानी छुपी है। दरअसल, 12वीं पास करने के बाद उन्होंने 2021 में एमडी यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के बीटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। इसी दौरान उन्होंने एनसीसी ज्वाइन करने का मन बनाया। तब एनसीसी टीचर ने उनका मनोबल तोड़ते हुए कहा था- तुम एनसीसी जॉइन तो कर रहे हो, लेकिन क्या इसे पूरा कर पाओगे। तुम्हारे बस की बात तो नहीं लग रही, घर जाओ। यांशू ने बताया कि एनसीसी टीचर की यह बात उनके दिल पर लग गई और उन्होंने ठान लिया कि अब तो एनसीसी पूरी करनी ही है। इसके बाद उन्होंने एनसीसी जॉइन की और सीनियर अंडर ऑफिसर बने। जो बात टीचर ने मनोबल तोड़ने के लिए कही थी, वो बात उन्हें मोटिवेट कर गई और आज वह इस मुकाम तक पहुंच गए हैं। सिलसिलेवार तरीके से पढ़ें यांशू के संघर्ष की पूरी कहानी… फौजी ने कैंप में ऑफिसर न बनने की कही थी बात
यांशू बड़क ने बताया कि उनका परिवार वर्तमान में देव कॉलोनी में रहता है। उन्होंने 10वीं और 12वीं मॉडल स्कूल सेक्टर-4 से पास की। 2021 में इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वहां एनसीसी कैंप लगा था। इस कैंप में जब वह गए तो वहां एक फौजी ने उनके स्वभाव को देखकर कहा था कि तुम कभी ऑफिसर मत बनना। यह बात भी उन्हें चुभ गई और तभी उन्होंने ठान लिया कि अब तो ऑफिसर ही बनना है। एसएसबी की तैयारी के लिए रूटीन बनाया
यांशू ने बताया कि एनसीसी टीचर और फौजी की बात सुनकर उन्होंने एसएसबी की तैयारी के लिए रूटीन बनाया। कॉलेज से घर आकर अलग कमरे में पढ़ते। माइंड को फ्रेश करने के लिए परिवार के लोगों के साथ बैठते। भाई बहनों के साथ टाइम बिताया करते और फिर मार्च 2025 में एसएसबी की परीक्षा दे दी। 8 मार्च को फ्लाइंग के लिए सीपीएसएस (कंप्यूटराइज्ड पायलट सिलेक्शन सिस्टम) परीक्षा दी। इसके बाद 12 जून को फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया, जिसमें उनका सिलेक्शन हो गया। दादी चाहती थी कि पोता डीसी बने
यांशू ने बताया कि उनकी दादी संतरो देवी बचपन में उन्हें डीसी बुलाती थी। जब भी उन्हें बाहर लेकर जाती तो सबसे सामने डीसी ही कहती। घर में भी सभी लोग उन्हें डीसी ही कहने लगे थे। दादी का सपना था कि एक दिन वह डीसी बनें। इस पर यांशू का कहना है कि मैं डीसी ना सही, देश की सेवा के लिए एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बन गया हूं। दादा राममेहर भी बहुत प्यार करते थे। ऋतिक रोशन की फाइटर मूवी भी बनी प्रेरणा
यांशू ने बताया कि एसएसबी की परीक्षा पास करने के बाद वाराणसी में इंटरव्यू हुआ। एक अधिकारी ने उनसे पूछा कि आपका प्रेरणा स्त्रोत क्या है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फाइटर मूवी में जैसे ऋतिक रोशन की एंट्री व फिटनेस है, वैसी फिटनेस अचीव करना चाहता हूं। साथ ही मूवी में जैसे ऋतिक रोशन सुखोई को उड़ा रहा है, वैसे ही सुखोई को उड़ाने का सपना है। बड़े भाई के मर्चेंट नेवी में जाने से बदला निर्णय
यांशू ने बताया कि उनका बड़ा भाई मांशू बड़क मर्चेंट नेवी में ऑफिसर है। पहले तय किया गया था कि मांशू घर में माता-पिता के साथ रहेगा और वह (यांशू) मर्चेंट नेवी में जाएगा। मगर, जब भाई मांशू मर्चेंट नेवी में गए तो उन्होंने मर्चेंट नेवी में जाने का प्लान ही बदल दिया। इसके बाद उन्होंने एयरफोर्स में जाने का निर्णय लिया। लक्ष्य पाने के लिए मां ने किया प्रोत्साहित
यांशू ने बताया कि मां सुदेश बड़क ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया। मां के इसी मोटिवेशन से ही उन्होंने अपना बेस्ट देने का प्रयास किया और सफलता भी मिली। हालांकि मां सुदेश चाहती थीं कि वह यूपीएससी की तैयारी करें, लेकिन वह एयरफोर्स में जाने का मन बना चुके थे। रास्ता कठिन था तो मां सुदेश ने उनसे कहा- अगर एक लाख लोग परीक्षा देते हैं तो उसमें से जो बेस्ट होगा, वहीं पहले नंबर पर होगा। उन एक लाख में तुम्हारा भी पहला नंबर हो सकता है, बस मेहनत करने की जरूरत है। दोस्त कहते थे, तुझे क्या करने की जरूरत
यांशू ने मां सुदेश ने बताया कि उनका परिवार साधन संपन्न है। यांशू के दोस्त उसे हमेशा फोर्स करते थे कि तुझे कुछ करने की क्या जरूरत है, तेरे परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। बुरी आदतों की तरफ धकेलने का प्रयास भी करते थे। यांशू ने कभी भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा। ऐसे दोस्तों से दूरी बनाई और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता चला गया। फैमिली के कई मेंबर आर्मी में
यांशू बड़क ने बताया कि उनके पिता डॉ. महाबीर सिंह मीरपुर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर और मां डॉ. सुदेश बड़क आईसी कॉलेज में असिस्टेंट लेक्चरर हैं। इसके अलावा फैमिली के कई मेंबर आर्मी में हैं। यांशू के मुताबिक, उनके बड़े ताऊ सूबेदार रणधीर सिंह आर्मी से रिटायर हो चुके हैं। दूसरे ताऊ धर्मवीर नेवी से रिटायर होने के बाद अब चीफ इंजीनियर हैं। वहीं, चाचा कैप्टन जगबीर बड़क भी नेवी में हैं। ———————— हरियाणा के युवाओं की सफलता से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… हिसार में जुड़वा बहन के बाद भाई बना आर्मी अफसर:रेवाड़ी के लेफ्टिनेंट को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर, पिता-दादा सेना में हवलदार रह चुके हरियाणा के लेफ्टिनेंट अन्नी नेहरा को देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की पासिंग आउट परेड में बेस्ट ऑलराउंड कैडेट होने पर स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। 21 वर्षीय अन्नी रेवाड़ी के टीकला गांव से हैं। उनके पिता और दादा भी सेना में रहे हैं। दोनों हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। (पूरी खबर पढ़ें)
हरियाणा के रोहतक के गांव बालंद के रहने वाले यांशू बड़क एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर सिलेक्ट हुए हैं। यांशू की 30 जून से तेलंगाना में ट्रेनिंग शुरू होगी। बेटे की उपलब्धि पर पूरा परिवार बेहद खुश है। हर कोई यांशू की मेहनत की तारीफ कर रहा है। मगर, इस सफलता के पीछे एक कहानी छुपी है। दरअसल, 12वीं पास करने के बाद उन्होंने 2021 में एमडी यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के बीटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। इसी दौरान उन्होंने एनसीसी ज्वाइन करने का मन बनाया। तब एनसीसी टीचर ने उनका मनोबल तोड़ते हुए कहा था- तुम एनसीसी जॉइन तो कर रहे हो, लेकिन क्या इसे पूरा कर पाओगे। तुम्हारे बस की बात तो नहीं लग रही, घर जाओ। यांशू ने बताया कि एनसीसी टीचर की यह बात उनके दिल पर लग गई और उन्होंने ठान लिया कि अब तो एनसीसी पूरी करनी ही है। इसके बाद उन्होंने एनसीसी जॉइन की और सीनियर अंडर ऑफिसर बने। जो बात टीचर ने मनोबल तोड़ने के लिए कही थी, वो बात उन्हें मोटिवेट कर गई और आज वह इस मुकाम तक पहुंच गए हैं। सिलसिलेवार तरीके से पढ़ें यांशू के संघर्ष की पूरी कहानी… फौजी ने कैंप में ऑफिसर न बनने की कही थी बात
यांशू बड़क ने बताया कि उनका परिवार वर्तमान में देव कॉलोनी में रहता है। उन्होंने 10वीं और 12वीं मॉडल स्कूल सेक्टर-4 से पास की। 2021 में इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वहां एनसीसी कैंप लगा था। इस कैंप में जब वह गए तो वहां एक फौजी ने उनके स्वभाव को देखकर कहा था कि तुम कभी ऑफिसर मत बनना। यह बात भी उन्हें चुभ गई और तभी उन्होंने ठान लिया कि अब तो ऑफिसर ही बनना है। एसएसबी की तैयारी के लिए रूटीन बनाया
यांशू ने बताया कि एनसीसी टीचर और फौजी की बात सुनकर उन्होंने एसएसबी की तैयारी के लिए रूटीन बनाया। कॉलेज से घर आकर अलग कमरे में पढ़ते। माइंड को फ्रेश करने के लिए परिवार के लोगों के साथ बैठते। भाई बहनों के साथ टाइम बिताया करते और फिर मार्च 2025 में एसएसबी की परीक्षा दे दी। 8 मार्च को फ्लाइंग के लिए सीपीएसएस (कंप्यूटराइज्ड पायलट सिलेक्शन सिस्टम) परीक्षा दी। इसके बाद 12 जून को फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया, जिसमें उनका सिलेक्शन हो गया। दादी चाहती थी कि पोता डीसी बने
यांशू ने बताया कि उनकी दादी संतरो देवी बचपन में उन्हें डीसी बुलाती थी। जब भी उन्हें बाहर लेकर जाती तो सबसे सामने डीसी ही कहती। घर में भी सभी लोग उन्हें डीसी ही कहने लगे थे। दादी का सपना था कि एक दिन वह डीसी बनें। इस पर यांशू का कहना है कि मैं डीसी ना सही, देश की सेवा के लिए एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बन गया हूं। दादा राममेहर भी बहुत प्यार करते थे। ऋतिक रोशन की फाइटर मूवी भी बनी प्रेरणा
यांशू ने बताया कि एसएसबी की परीक्षा पास करने के बाद वाराणसी में इंटरव्यू हुआ। एक अधिकारी ने उनसे पूछा कि आपका प्रेरणा स्त्रोत क्या है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फाइटर मूवी में जैसे ऋतिक रोशन की एंट्री व फिटनेस है, वैसी फिटनेस अचीव करना चाहता हूं। साथ ही मूवी में जैसे ऋतिक रोशन सुखोई को उड़ा रहा है, वैसे ही सुखोई को उड़ाने का सपना है। बड़े भाई के मर्चेंट नेवी में जाने से बदला निर्णय
यांशू ने बताया कि उनका बड़ा भाई मांशू बड़क मर्चेंट नेवी में ऑफिसर है। पहले तय किया गया था कि मांशू घर में माता-पिता के साथ रहेगा और वह (यांशू) मर्चेंट नेवी में जाएगा। मगर, जब भाई मांशू मर्चेंट नेवी में गए तो उन्होंने मर्चेंट नेवी में जाने का प्लान ही बदल दिया। इसके बाद उन्होंने एयरफोर्स में जाने का निर्णय लिया। लक्ष्य पाने के लिए मां ने किया प्रोत्साहित
यांशू ने बताया कि मां सुदेश बड़क ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया। मां के इसी मोटिवेशन से ही उन्होंने अपना बेस्ट देने का प्रयास किया और सफलता भी मिली। हालांकि मां सुदेश चाहती थीं कि वह यूपीएससी की तैयारी करें, लेकिन वह एयरफोर्स में जाने का मन बना चुके थे। रास्ता कठिन था तो मां सुदेश ने उनसे कहा- अगर एक लाख लोग परीक्षा देते हैं तो उसमें से जो बेस्ट होगा, वहीं पहले नंबर पर होगा। उन एक लाख में तुम्हारा भी पहला नंबर हो सकता है, बस मेहनत करने की जरूरत है। दोस्त कहते थे, तुझे क्या करने की जरूरत
यांशू ने मां सुदेश ने बताया कि उनका परिवार साधन संपन्न है। यांशू के दोस्त उसे हमेशा फोर्स करते थे कि तुझे कुछ करने की क्या जरूरत है, तेरे परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। बुरी आदतों की तरफ धकेलने का प्रयास भी करते थे। यांशू ने कभी भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा। ऐसे दोस्तों से दूरी बनाई और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता चला गया। फैमिली के कई मेंबर आर्मी में
यांशू बड़क ने बताया कि उनके पिता डॉ. महाबीर सिंह मीरपुर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर और मां डॉ. सुदेश बड़क आईसी कॉलेज में असिस्टेंट लेक्चरर हैं। इसके अलावा फैमिली के कई मेंबर आर्मी में हैं। यांशू के मुताबिक, उनके बड़े ताऊ सूबेदार रणधीर सिंह आर्मी से रिटायर हो चुके हैं। दूसरे ताऊ धर्मवीर नेवी से रिटायर होने के बाद अब चीफ इंजीनियर हैं। वहीं, चाचा कैप्टन जगबीर बड़क भी नेवी में हैं। ———————— हरियाणा के युवाओं की सफलता से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… हिसार में जुड़वा बहन के बाद भाई बना आर्मी अफसर:रेवाड़ी के लेफ्टिनेंट को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर, पिता-दादा सेना में हवलदार रह चुके हरियाणा के लेफ्टिनेंट अन्नी नेहरा को देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की पासिंग आउट परेड में बेस्ट ऑलराउंड कैडेट होने पर स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। 21 वर्षीय अन्नी रेवाड़ी के टीकला गांव से हैं। उनके पिता और दादा भी सेना में रहे हैं। दोनों हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। (पूरी खबर पढ़ें)