
हरियाणा के बॉक्सर नमन तंवर ने थाईलैंड में चल रही थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में चाइना के बॉक्सर को 4-1 से हराकर गोल्ड मेडल जीता है। नमन तंवर साल 2018 कामनवेल्थ गेम्स में भी इंडिया को पहला बॉक्सिंग पदक दिलाने वाले बॉक्सर हैं। मूलरूप से भिवानी के हालुवास गांव और वर्तमान में डीसी कॉलोनी भिवानी के निवासी नमन ने खेल की शुरुआत खुद को फिट रखने के लिए की थी। जिसके बाद उन्हें नहीं पता चला कि कब उन्हें बॉक्सिंग से लगाव हो गया। साल 2012 में उन्होंने खेल की शुरुआत की थी, जब उनकी उम्र करीब 14 साल थी। नमन तंवर भिवानी की द्रोणाचार्य अवार्डी कैप्टन हवासिंह श्योराण एकेडमी में प्रैक्टिस करते हैं। नमन तंवर उत्तरी रेलवे के सीनियर टीटीई हैं, जिनकी वर्तमान में आनंद विहार स्टेशन पर पोस्टिंग है। कॉमनवेल्थ में जीता था कांस्य पदक 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के 9वें दिन भारतीय मुक्केबाज नमन तंवर ने पुरुषों के 91 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था। 19 वर्षीय मुक्केबाज को सेमीफाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया के जेसन व्हाटली के खिलाफ 0-4 से हार का सामना करना पड़ा और उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। इंजरी के बाद की है वापसी टोक्यो ओलिंपिक गेम्स के क्वालिफायर के टूर्नामेंट के दौरान नमन तंवर को कमर में इंजरी हो गई थी। जिस कारण वे 2 साल तक रिंग से दूर रहे थे। रिंग से लंबी दूरी के चलते उन्हें वापसी करने में काफी मुश्किलें आई। बरेली में आयोजित नेशनल में सिल्वर जीतने के बाद थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए उनका रास्ता साफ हुआ। जहां पर उन्होंने अच्छी वापसी की है। MDU रोहतक के स्टूडेंट भिवानी के बॉक्सर नमन तंवर ने MDU ने ग्रेजुएशन कंम्पलीट किया है। वहीं वर्तमान में वे इंग्लिश ऑनर्स से अपनी मास्टर डिग्री कर रहे हैं। 10वीं कक्षा में नमन ने अपने पिता से कहा था कि वो एक ही चीज में सही कर सकता है। जिस पर उनके पिता ने कहा था गेम्स करो, जहां से तुम्हें पहचान मिलेगी। उसके बाद नमन ने पढ़ाई में अच्छा किया और गेम्स में भी देश के लिए मेडल हासिल किया। पिता रहे हैं राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी भिवानी के हालूवास गांव निवासी नमन तंवर के पिता सुंदर तंवर राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी रहे हैं। लेकिन परिवार में कुछ घटनाएं हुई, जिसके चलते इन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इनके दादा श्रीलंका शांति सेना के सदस्य थे, जो वहां शहीद हो गए थे। उसी की अनुकंपा के आधार पर साल 2016 में प्रदेश सरकार ने इन्हें राजस्व विभाग में क्लर्क की नियुक्ति दी। उसके बाद से भिवानी के डीसी ऑफिस में तैनात हैं।
हरियाणा के बॉक्सर नमन तंवर ने थाईलैंड में चल रही थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में चाइना के बॉक्सर को 4-1 से हराकर गोल्ड मेडल जीता है। नमन तंवर साल 2018 कामनवेल्थ गेम्स में भी इंडिया को पहला बॉक्सिंग पदक दिलाने वाले बॉक्सर हैं। मूलरूप से भिवानी के हालुवास गांव और वर्तमान में डीसी कॉलोनी भिवानी के निवासी नमन ने खेल की शुरुआत खुद को फिट रखने के लिए की थी। जिसके बाद उन्हें नहीं पता चला कि कब उन्हें बॉक्सिंग से लगाव हो गया। साल 2012 में उन्होंने खेल की शुरुआत की थी, जब उनकी उम्र करीब 14 साल थी। नमन तंवर भिवानी की द्रोणाचार्य अवार्डी कैप्टन हवासिंह श्योराण एकेडमी में प्रैक्टिस करते हैं। नमन तंवर उत्तरी रेलवे के सीनियर टीटीई हैं, जिनकी वर्तमान में आनंद विहार स्टेशन पर पोस्टिंग है। कॉमनवेल्थ में जीता था कांस्य पदक 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के 9वें दिन भारतीय मुक्केबाज नमन तंवर ने पुरुषों के 91 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था। 19 वर्षीय मुक्केबाज को सेमीफाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया के जेसन व्हाटली के खिलाफ 0-4 से हार का सामना करना पड़ा और उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। इंजरी के बाद की है वापसी टोक्यो ओलिंपिक गेम्स के क्वालिफायर के टूर्नामेंट के दौरान नमन तंवर को कमर में इंजरी हो गई थी। जिस कारण वे 2 साल तक रिंग से दूर रहे थे। रिंग से लंबी दूरी के चलते उन्हें वापसी करने में काफी मुश्किलें आई। बरेली में आयोजित नेशनल में सिल्वर जीतने के बाद थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए उनका रास्ता साफ हुआ। जहां पर उन्होंने अच्छी वापसी की है। MDU रोहतक के स्टूडेंट भिवानी के बॉक्सर नमन तंवर ने MDU ने ग्रेजुएशन कंम्पलीट किया है। वहीं वर्तमान में वे इंग्लिश ऑनर्स से अपनी मास्टर डिग्री कर रहे हैं। 10वीं कक्षा में नमन ने अपने पिता से कहा था कि वो एक ही चीज में सही कर सकता है। जिस पर उनके पिता ने कहा था गेम्स करो, जहां से तुम्हें पहचान मिलेगी। उसके बाद नमन ने पढ़ाई में अच्छा किया और गेम्स में भी देश के लिए मेडल हासिल किया। पिता रहे हैं राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी भिवानी के हालूवास गांव निवासी नमन तंवर के पिता सुंदर तंवर राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी रहे हैं। लेकिन परिवार में कुछ घटनाएं हुई, जिसके चलते इन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इनके दादा श्रीलंका शांति सेना के सदस्य थे, जो वहां शहीद हो गए थे। उसी की अनुकंपा के आधार पर साल 2016 में प्रदेश सरकार ने इन्हें राजस्व विभाग में क्लर्क की नियुक्ति दी। उसके बाद से भिवानी के डीसी ऑफिस में तैनात हैं।