
हरियाणा में कैथल के पोलड़ गांव को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अचानक खाली करने का आदेश दे दिया। नोटिस देख सदमें में एक महिला की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद से ग्रामीणों में डर का माहौल है। लोग बेघर होने के ख्याल से घबरा रहे हैं। वे स्थानीय विधायक से मदद मांग रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा। सबसे बड़ी समस्या यह है कि गांव में न तो पंचायत है और न ही यह नगरपालिका में आता है। इसलिए, गांव का एक सुर में प्रतिनिधित्व करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है। लोगों के पास उनकी जमीनों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं है, जिससे वे खुद ही कानूनी लड़ाई लड़ सकें। लोग बस यही कह रहे हैं कि वे अपना घर नहीं छोड़ेंगे। वे यहां जन्मे, सिर पर मिट्टी ढोकर घर बनाए, पूर्वजों की यादें यहीं से जुड़ी हैं। मर जाएंगे, लेकिन गांव छोड़कर नहीं जाएंगे। वहीं कैथल की DC प्रीति ने कहा है कि वह कानून के दायरे में रहकर लोगों के लिए जो कर सकेंगी, करेंगी। वहीं, गुहला के विधायक देवेंद्र हंस कहते हैं कि वह लोगों के साथ हैं। अगर, गांव छोड़ने की नौबत आई तो वह सरकार से अपील करेंगे कि इन्हें कहीं और बसाने का इंतजाम किया जाए। 206 घरों को खाली करने का नोटिस
पोलड़ गांव कैथल-पटियाला रोड पर सीवन कस्बे के पास है। 15 मई को ASI की ओर से लोगों को गांव छोड़ने का आदेश दिया गया। आदेश में कहा गया है कि यह जमीन उसकी है। हालांकि, ASI ने पूरे गांव पर अपना दावा नहीं ठोका है। ग्रामीणों के अनुसार, गांव में करीब 600 घर हैं। उनमें से कुल 206 घरों को खाली करने का ऑर्डर आया है। इन घरों में रहने वाले लोगों में ही डर का माहौल है। चुनिंदा घरों को आदेश मिलने के बारे में गांववालों का कहना है कि ASI ने गांव के उन लोगों को चले जाने के लिए कहा है जो सरस्वती नदी के किनारे की जमीन पर बसे हुए हैं। ASI ने उन घरों की जमीन को अपना बताकर उसे संरक्षित करने की बात नोटिस में कही है। ASI का 48.31 एकड़ भूमि पर दावा
ASI ने गांव की 48.31 एकड़ भूमि पर अपना दावा ठोका है। इसमें गांव के 206 घरों के अलावा गांव के बाहर मौजूद प्राचीन मंदिर, सरस्वती नदी और खेती में प्रयुक्त जमीन शामिल है। ASI के नोटिस में जिक्र है कि इसे विभाग ने 1926 में मुआवजा देकर खरीदा था। ASI का मानना था कि यह जमीन ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे संरक्षित करना जरूरी है। इसमें खुदाई कर कुछ ऐतिहासिक वस्तुएं मिलने की संभावना है। घबराहट में महिला की मौत हो चुकी
ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार (15 मई) को ASI की तरफ से नोटिस आया था। जिन घरों को खाली करने को कहा गया, उनमें महेंद्र सिंह की पत्नी गुरमीत कौर (65) का भी घर था। नोटिस के बाद से ही वह काफी परेशान थी। इसके बाद रविवार सुबह करीब 3 बजे गुरमीत कौर को दिल का दौरा पड़ गया, जिससे उनकी मौत हो गई। लोगों की नजर में गांव का इतिहास और मौजूदा स्थिति… इतिहासकारों ने क्या कहा, 3 पॉइंट में जानिए गांव छोड़ने के आदेश पर ग्रामीणों और विधायक ने क्या कहा… डीसी ने कहा- हम नियमों से चलेंगे
इस बारे में DC प्रीति ने कहा कि मामले में संबंधित अधिकारियों से बात की जाएगी। जो भी नियम के अनुसार और जनहित में कार्रवाई होगी, वही करेंगे।
हरियाणा में कैथल के पोलड़ गांव को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अचानक खाली करने का आदेश दे दिया। नोटिस देख सदमें में एक महिला की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद से ग्रामीणों में डर का माहौल है। लोग बेघर होने के ख्याल से घबरा रहे हैं। वे स्थानीय विधायक से मदद मांग रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा। सबसे बड़ी समस्या यह है कि गांव में न तो पंचायत है और न ही यह नगरपालिका में आता है। इसलिए, गांव का एक सुर में प्रतिनिधित्व करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है। लोगों के पास उनकी जमीनों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं है, जिससे वे खुद ही कानूनी लड़ाई लड़ सकें। लोग बस यही कह रहे हैं कि वे अपना घर नहीं छोड़ेंगे। वे यहां जन्मे, सिर पर मिट्टी ढोकर घर बनाए, पूर्वजों की यादें यहीं से जुड़ी हैं। मर जाएंगे, लेकिन गांव छोड़कर नहीं जाएंगे। वहीं कैथल की DC प्रीति ने कहा है कि वह कानून के दायरे में रहकर लोगों के लिए जो कर सकेंगी, करेंगी। वहीं, गुहला के विधायक देवेंद्र हंस कहते हैं कि वह लोगों के साथ हैं। अगर, गांव छोड़ने की नौबत आई तो वह सरकार से अपील करेंगे कि इन्हें कहीं और बसाने का इंतजाम किया जाए। 206 घरों को खाली करने का नोटिस
पोलड़ गांव कैथल-पटियाला रोड पर सीवन कस्बे के पास है। 15 मई को ASI की ओर से लोगों को गांव छोड़ने का आदेश दिया गया। आदेश में कहा गया है कि यह जमीन उसकी है। हालांकि, ASI ने पूरे गांव पर अपना दावा नहीं ठोका है। ग्रामीणों के अनुसार, गांव में करीब 600 घर हैं। उनमें से कुल 206 घरों को खाली करने का ऑर्डर आया है। इन घरों में रहने वाले लोगों में ही डर का माहौल है। चुनिंदा घरों को आदेश मिलने के बारे में गांववालों का कहना है कि ASI ने गांव के उन लोगों को चले जाने के लिए कहा है जो सरस्वती नदी के किनारे की जमीन पर बसे हुए हैं। ASI ने उन घरों की जमीन को अपना बताकर उसे संरक्षित करने की बात नोटिस में कही है। ASI का 48.31 एकड़ भूमि पर दावा
ASI ने गांव की 48.31 एकड़ भूमि पर अपना दावा ठोका है। इसमें गांव के 206 घरों के अलावा गांव के बाहर मौजूद प्राचीन मंदिर, सरस्वती नदी और खेती में प्रयुक्त जमीन शामिल है। ASI के नोटिस में जिक्र है कि इसे विभाग ने 1926 में मुआवजा देकर खरीदा था। ASI का मानना था कि यह जमीन ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे संरक्षित करना जरूरी है। इसमें खुदाई कर कुछ ऐतिहासिक वस्तुएं मिलने की संभावना है। घबराहट में महिला की मौत हो चुकी
ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार (15 मई) को ASI की तरफ से नोटिस आया था। जिन घरों को खाली करने को कहा गया, उनमें महेंद्र सिंह की पत्नी गुरमीत कौर (65) का भी घर था। नोटिस के बाद से ही वह काफी परेशान थी। इसके बाद रविवार सुबह करीब 3 बजे गुरमीत कौर को दिल का दौरा पड़ गया, जिससे उनकी मौत हो गई। लोगों की नजर में गांव का इतिहास और मौजूदा स्थिति… इतिहासकारों ने क्या कहा, 3 पॉइंट में जानिए गांव छोड़ने के आदेश पर ग्रामीणों और विधायक ने क्या कहा… डीसी ने कहा- हम नियमों से चलेंगे
इस बारे में DC प्रीति ने कहा कि मामले में संबंधित अधिकारियों से बात की जाएगी। जो भी नियम के अनुसार और जनहित में कार्रवाई होगी, वही करेंगे।