
भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान के खिलाफ चार दिनों तक चली सैन्य कार्रवाई में स्वदेशी हथियारों और एयर डिफेंस सिस्टम का बखूबी इस्तेमाल किया। सेना ने आधुनिक मिसाइल व रक्षा प्रणालियों के साथ–साथ विंटेज (पुराने) सिस्टम की भी मदद ली। स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल, एस 400 व स्वदेशी आकाश जैसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत दुनिया ने देखी। वहीं विंटेज पिचौरा एयर डिफेंस सिस्टम, समर मिसाइल सिस्टम और एम 70 एयर गन को भी उपयोग में लिया गया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पिचौरा : 1970 के दशक में भारत आया था
पिचौरा या पिकोरा मिसाइल सिस्टम जिसे S-125 नोवा भी कहा जाता है, इसका NATO नाम: SA-3 Goa है। सोवियत रुस निर्मित जमीन से हवा में मार करने वाला यह मिसाइल सिस्टम 1970 के दशक में भारत में आया था। इसे 1960 के दशक में पूर्व सोवियत संघ के डिज़ाइनर अलेक्सी इसाएव ने विकसित किया था। 70 के दशक ये यह भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए हवाई खतरों से निपटने में एक भरोसेमंद हथियार रहा है। भारत ने पिचौरा मिसाइल सिस्टम को पहली बार 1974-75 में भुज में तैनात किया था। वर्तमान में एयरफोर्स के पास 25 से अधिक पिचौरा स्क्वॉड्रन हैं। ऑपरेशन सिंदूर में इसने कई ड्रोन को नष्ट किया है। भुज एयरबेस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिचौरा मिसाइल सिस्टम की झलक दुनिया को दिखाई थी। समर मिसाइल सिस्टम
समर मिसाइल सिस्टम भी विंटेज सिस्टम है। इसे भारतीय वैज्ञानिकों ने बदल दिया। समर मिसाइल एयर टू एयर मिसाइल थी जिसे सरफेज टू एयर मिसाइल में बदल दिया गया। भारतीय वायुसेना ने वर्षों पहले रूस से R-73 और R-27 मिसाइलें ली थीं। ये मिसाइलें लड़ाकू विमानों में फिट होकर हवा से हवा में मार करती थीं, लेकिन इनका जखीरा पुराना हो गया। यह लगने लगा कि अब इसका यूज नहीं हैं, लेकिन इसे सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम में बदल कर समर नाम दिया। समर मिसाइल का प्रदर्शन पोकरण में हुए एयर एक्सरसाइज वायु शक्ति में भी किया गया था। इसे वायुसेना की 7 Base Repair Depot(BRD) यूनिट चलाती है, जो पुराने हथियारों को नया करने में माहिर है। पुरानी रुसी मिसाइलों को किया रिसाइकल : ये भारत का छोटा लेकिन धाकड़ हथियार है, जो ड्रोन और हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट को आसमान में ही ढेर कर देता है। पुरानी रुसी मिसाइलों को रीसाइकिल कर तैयार इसे सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम बनाया है। समर एयर डिफेंस सिस्टम को ट्रक पर लाद कर ऊंचे पहाड़ों या कैसे भी भोगौलिक क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है। दो मिसाइल : इसमें दो मिसाइल लगी होती हैं। पहली मिसाइल समर वन का वजन 105 किलो व लंबाई 10 फिट होती है। यह 12 से 40 किलोमीटर दूर टारगेट को निशाना बनाने में सक्षम है। यह ड्रोन, हेलिकॉप्टर व अन्य हवाई खतरों को टारगेट करती है। समर टू का वजन 253 किलो और लंबाई 13.4 फीट है। यह 12 से 40 किलाेमीटर दूर टारगेट को नष्ट कर सकती है। यह भी फाइटर जेट्स और बड़े खतरों को टारगेट कर सकती है। इस मिसाइल सिस्टम ने जम्मू में पाकिस्तान के कई ड्रोन मार गिराए। समर को उन इलाकों में तैनात किया है, जहां ड्रोन या हेलिकॉप्टर से हमले का खतरा रहता है। एल 70 एंटी एयरक्राफ्ट गन
पुराने जमाने की एंटी एयरक्राफ्ट गन एल 70 गन को मोडिफाइ कर आधुनिक सरफेस टू एयर एंटी ड्रोन गन में अपडेट किया गया है। एल 70 ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान से आए काफी ड्रोन मार गिराए। एल-70 स्वीडन मूल का डिफेंस सिस्टम है। यह थोड़ी पुरानी तकनीक है, लेकिन इसे भारत ने BEL के साथ मिलकर अपग्रेड किया है। यह लगभग 3-4 किमी तक के रेंज में अपने टारगेट को नष्ट कर सकता है। कम ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन और हल्के हवाई वाहनों को मार गिराने के लिए इस डिफेंस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। इसमें ऑटोमैटिक फायरिंग सिस्टम है। यह रडार आधारित टारगेटिंग करता है। पूर्व विंग कमांडर मनीष चौधरी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेना ने हंड्रेड परसेंट इंटरसेप्सेशन रेश्यो अचीव किया। इंटिग्रेटेड मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम के परफॉरमेंस के बारे में पूरे विश्व को अपनी ताकत दिखाई।
भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान के खिलाफ चार दिनों तक चली सैन्य कार्रवाई में स्वदेशी हथियारों और एयर डिफेंस सिस्टम का बखूबी इस्तेमाल किया। सेना ने आधुनिक मिसाइल व रक्षा प्रणालियों के साथ–साथ विंटेज (पुराने) सिस्टम की भी मदद ली। स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल, एस 400 व स्वदेशी आकाश जैसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत दुनिया ने देखी। वहीं विंटेज पिचौरा एयर डिफेंस सिस्टम, समर मिसाइल सिस्टम और एम 70 एयर गन को भी उपयोग में लिया गया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पिचौरा : 1970 के दशक में भारत आया था
पिचौरा या पिकोरा मिसाइल सिस्टम जिसे S-125 नोवा भी कहा जाता है, इसका NATO नाम: SA-3 Goa है। सोवियत रुस निर्मित जमीन से हवा में मार करने वाला यह मिसाइल सिस्टम 1970 के दशक में भारत में आया था। इसे 1960 के दशक में पूर्व सोवियत संघ के डिज़ाइनर अलेक्सी इसाएव ने विकसित किया था। 70 के दशक ये यह भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए हवाई खतरों से निपटने में एक भरोसेमंद हथियार रहा है। भारत ने पिचौरा मिसाइल सिस्टम को पहली बार 1974-75 में भुज में तैनात किया था। वर्तमान में एयरफोर्स के पास 25 से अधिक पिचौरा स्क्वॉड्रन हैं। ऑपरेशन सिंदूर में इसने कई ड्रोन को नष्ट किया है। भुज एयरबेस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिचौरा मिसाइल सिस्टम की झलक दुनिया को दिखाई थी। समर मिसाइल सिस्टम
समर मिसाइल सिस्टम भी विंटेज सिस्टम है। इसे भारतीय वैज्ञानिकों ने बदल दिया। समर मिसाइल एयर टू एयर मिसाइल थी जिसे सरफेज टू एयर मिसाइल में बदल दिया गया। भारतीय वायुसेना ने वर्षों पहले रूस से R-73 और R-27 मिसाइलें ली थीं। ये मिसाइलें लड़ाकू विमानों में फिट होकर हवा से हवा में मार करती थीं, लेकिन इनका जखीरा पुराना हो गया। यह लगने लगा कि अब इसका यूज नहीं हैं, लेकिन इसे सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम में बदल कर समर नाम दिया। समर मिसाइल का प्रदर्शन पोकरण में हुए एयर एक्सरसाइज वायु शक्ति में भी किया गया था। इसे वायुसेना की 7 Base Repair Depot(BRD) यूनिट चलाती है, जो पुराने हथियारों को नया करने में माहिर है। पुरानी रुसी मिसाइलों को किया रिसाइकल : ये भारत का छोटा लेकिन धाकड़ हथियार है, जो ड्रोन और हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट को आसमान में ही ढेर कर देता है। पुरानी रुसी मिसाइलों को रीसाइकिल कर तैयार इसे सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम बनाया है। समर एयर डिफेंस सिस्टम को ट्रक पर लाद कर ऊंचे पहाड़ों या कैसे भी भोगौलिक क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है। दो मिसाइल : इसमें दो मिसाइल लगी होती हैं। पहली मिसाइल समर वन का वजन 105 किलो व लंबाई 10 फिट होती है। यह 12 से 40 किलोमीटर दूर टारगेट को निशाना बनाने में सक्षम है। यह ड्रोन, हेलिकॉप्टर व अन्य हवाई खतरों को टारगेट करती है। समर टू का वजन 253 किलो और लंबाई 13.4 फीट है। यह 12 से 40 किलाेमीटर दूर टारगेट को नष्ट कर सकती है। यह भी फाइटर जेट्स और बड़े खतरों को टारगेट कर सकती है। इस मिसाइल सिस्टम ने जम्मू में पाकिस्तान के कई ड्रोन मार गिराए। समर को उन इलाकों में तैनात किया है, जहां ड्रोन या हेलिकॉप्टर से हमले का खतरा रहता है। एल 70 एंटी एयरक्राफ्ट गन
पुराने जमाने की एंटी एयरक्राफ्ट गन एल 70 गन को मोडिफाइ कर आधुनिक सरफेस टू एयर एंटी ड्रोन गन में अपडेट किया गया है। एल 70 ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान से आए काफी ड्रोन मार गिराए। एल-70 स्वीडन मूल का डिफेंस सिस्टम है। यह थोड़ी पुरानी तकनीक है, लेकिन इसे भारत ने BEL के साथ मिलकर अपग्रेड किया है। यह लगभग 3-4 किमी तक के रेंज में अपने टारगेट को नष्ट कर सकता है। कम ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन और हल्के हवाई वाहनों को मार गिराने के लिए इस डिफेंस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। इसमें ऑटोमैटिक फायरिंग सिस्टम है। यह रडार आधारित टारगेटिंग करता है। पूर्व विंग कमांडर मनीष चौधरी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेना ने हंड्रेड परसेंट इंटरसेप्सेशन रेश्यो अचीव किया। इंटिग्रेटेड मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम के परफॉरमेंस के बारे में पूरे विश्व को अपनी ताकत दिखाई।