
हिमाचल हाईकोर्ट में आज संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने लोकल रेजिडेंट की एक्जीक्यूशन पिटीशन पर बीते 28 मार्च के आदेशानुसार, नगर निगम आयुक्त शिमला को संजौली मस्जिद केस 8 मई से पहले निपटाने के आदेश दिए। ऐसा नहीं करने पर निगम के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। वहीं संजौली मस्जिद केस अब नगर निगम आयुक्त कोर्ट में 25 अप्रैल को सुना जाएगा। इस दिन उम्मीद की जा रही है कि 16 साल से निगम कोर्ट में चल रहा केस खत्म हो जाएगा। लोकल रेजिडेंट के एडवोकेट जगतपाल ने बताया कि संजौली मस्जिद मामला 16 सालों से यानी 2010 से निगम आयुक्त कोर्ट में चल रहा है। उन्होंने कहा, संजौली मस्जिद मामले में जेई द्वारा 31 मार्च 2010, 14 दिसंबर 2019 और 5 अक्टूबर 2024 को तीन बार रिपोर्ट फाइल की गई, जिसमें संजौली मस्जिद को अवैध बताया गया। मस्जिद का न नक्शा, न मालिक, न एनओसी मस्जिद बनाने को ली गई है। उन्होंने कहा कि बीते 28 मार्च की सुनवाई में नगर निगम आयुक्त ने केस निपटाने के लिए 8 सप्ताह का वक्त मांगा था। इस पर हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह का समय दिया है। ऐसे में 8 मई तक मस्जिद को लेकर चल रहा केस नहीं निपटाया गया, तो अवमानना की प्रोसीडिंग चलेगी। हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर को दिए थे केस निपटाने के आदेश हाईकोर्ट ने बीते साल 21 अक्टूबर को MC आयुक्त शिमला को 20 दिसंबर 2024 तक निगम की अदालत में चल रहा मुकद्दमा निपटाने के आदेश दिए और कहा कि संजौली मस्जिद की निचली दो मंजिल का जल्द फैसला किया जाए। ऊपर मंजिल को तोड़ने के निगम आयुक्त बीते साल 5 अक्टूबर को पहले ही आदेश जारी कर चुके हैं। आयुक्त कोर्ट के आदेशों पर मस्जिद को तोड़ने का काम चला हुआ है। मगर यह काम धीमी रफ्तार के साथ किया जा रहा है। बजट की कमी से धीमी गति से चल रहा तोड़ने का काम इसके पीछे मुस्लिम समुदाय द्वारा पहले बजट का कमी का तर्क दिया गया। बाद में सर्दियों का तर्क देकर काम रोक दिया गया। मार्च माह में काम शुरू कर दिया गया है। मगर अभी ऊपर की तीन मंजिल हटाने का काम पूरा नहीं हुआ। शिमला से पूरे प्रदेश में भड़की थी चिंगारी शिमला की संजौली मस्जिद के कारण बीते साल पूरे प्रदेश में बवाल मच गया था। शिमला के मल्याणा में 31 अगस्त को एक समुदाय के लोगों द्वारा स्थानीय व्यक्ति की पिटाई करने के बाद इस मामले में तूल पकड़ा था। इसके बाद प्रदेश के सभी शहरों में प्रदर्शन किए गए। इसके बाद मंडी की मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के भी आदेश नगर निगम आयुक्त मंडी द्वारा दिए गए। प्रदेश में मस्जिद और मजार के खिलाफ जगह जगह प्रदर्शन किए गए।
हिमाचल हाईकोर्ट में आज संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने लोकल रेजिडेंट की एक्जीक्यूशन पिटीशन पर बीते 28 मार्च के आदेशानुसार, नगर निगम आयुक्त शिमला को संजौली मस्जिद केस 8 मई से पहले निपटाने के आदेश दिए। ऐसा नहीं करने पर निगम के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। वहीं संजौली मस्जिद केस अब नगर निगम आयुक्त कोर्ट में 25 अप्रैल को सुना जाएगा। इस दिन उम्मीद की जा रही है कि 16 साल से निगम कोर्ट में चल रहा केस खत्म हो जाएगा। लोकल रेजिडेंट के एडवोकेट जगतपाल ने बताया कि संजौली मस्जिद मामला 16 सालों से यानी 2010 से निगम आयुक्त कोर्ट में चल रहा है। उन्होंने कहा, संजौली मस्जिद मामले में जेई द्वारा 31 मार्च 2010, 14 दिसंबर 2019 और 5 अक्टूबर 2024 को तीन बार रिपोर्ट फाइल की गई, जिसमें संजौली मस्जिद को अवैध बताया गया। मस्जिद का न नक्शा, न मालिक, न एनओसी मस्जिद बनाने को ली गई है। उन्होंने कहा कि बीते 28 मार्च की सुनवाई में नगर निगम आयुक्त ने केस निपटाने के लिए 8 सप्ताह का वक्त मांगा था। इस पर हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह का समय दिया है। ऐसे में 8 मई तक मस्जिद को लेकर चल रहा केस नहीं निपटाया गया, तो अवमानना की प्रोसीडिंग चलेगी। हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर को दिए थे केस निपटाने के आदेश हाईकोर्ट ने बीते साल 21 अक्टूबर को MC आयुक्त शिमला को 20 दिसंबर 2024 तक निगम की अदालत में चल रहा मुकद्दमा निपटाने के आदेश दिए और कहा कि संजौली मस्जिद की निचली दो मंजिल का जल्द फैसला किया जाए। ऊपर मंजिल को तोड़ने के निगम आयुक्त बीते साल 5 अक्टूबर को पहले ही आदेश जारी कर चुके हैं। आयुक्त कोर्ट के आदेशों पर मस्जिद को तोड़ने का काम चला हुआ है। मगर यह काम धीमी रफ्तार के साथ किया जा रहा है। बजट की कमी से धीमी गति से चल रहा तोड़ने का काम इसके पीछे मुस्लिम समुदाय द्वारा पहले बजट का कमी का तर्क दिया गया। बाद में सर्दियों का तर्क देकर काम रोक दिया गया। मार्च माह में काम शुरू कर दिया गया है। मगर अभी ऊपर की तीन मंजिल हटाने का काम पूरा नहीं हुआ। शिमला से पूरे प्रदेश में भड़की थी चिंगारी शिमला की संजौली मस्जिद के कारण बीते साल पूरे प्रदेश में बवाल मच गया था। शिमला के मल्याणा में 31 अगस्त को एक समुदाय के लोगों द्वारा स्थानीय व्यक्ति की पिटाई करने के बाद इस मामले में तूल पकड़ा था। इसके बाद प्रदेश के सभी शहरों में प्रदर्शन किए गए। इसके बाद मंडी की मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के भी आदेश नगर निगम आयुक्त मंडी द्वारा दिए गए। प्रदेश में मस्जिद और मजार के खिलाफ जगह जगह प्रदर्शन किए गए।